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मैं बंधुआ मुखिया हूं, मुङो मुक्त कराइए कमिश्नर और डीएम साहब!

पटना की नगहर पंचायत में लोकतंत्र का एक चेहरा ऐसा भी सीट रिजर्व होने पर 2005 में पूर्व मुखिया ने अपने बंधुआ मेदनी को मुखिया पद के लिए जितवाया 2010 में फिर जीते, पर मेदनी का असली काम अपने मालिक के यहां गाय को सानी-पानी देना ही रहा मुखिया का दायित्व मालिक ही निभाते रहे […]

पटना की नगहर पंचायत में लोकतंत्र का एक चेहरा ऐसा भी

सीट रिजर्व होने पर 2005 में पूर्व मुखिया ने अपने बंधुआ मेदनी को मुखिया पद के लिए जितवाया

2010 में फिर जीते, पर मेदनी का असली काम अपने मालिक के यहां गाय को सानी-पानी देना ही रहा

मुखिया का दायित्व मालिक ही निभाते रहे

पटना : ये हैं मेदनी राम. बंधुआ मजदूर से मुखिया बने. मुखिया बन कर भी बंधुआ रहे. सो, मुखिया का काम उनके मालिक करते रहे. मेदनी को तो यह भी पता नहीं कि मुखिया के निर्वाचन का सर्टिफिकेट कैसा होता है? वह तो गाय-गोरू और मालिक की सेवा-टहल को ही अपनी किस्मत मानते रहे.

पटना जिले के बिक्रम प्रखंड की नगहर पंचायत के मुखिया हैं मेदनी राम. वह सालों से गांव के पूर्व मुखिया के यहां काम करते थे. 2005 में वह सीट रिजर्व हो गयी. पूर्व मुखिया ने अपने बंधुआ मेदनी को चुनाव में उतार दिया. मेदनी मालिक की कृपा से मुखिया बन गये. लेकिन उनका असली काम गाय को सानी-पानी और सेवा टहल करना रहा. 2010 में मेदनी दोबारा मुखिया बन गये. वह अति पिछड़ी जाति के हैं.

मेदनी ने इस संवाददाता को बताया, सब काम मालिक ही किया करते हैं. लोग भी उन्हें ही मुखिया कहते हैं. कभी-कभी हमको मुखिया जी कह कर लोग परनाम करते हैं, तो अजीब लगता है. मुखिया बनने के बाद मालिक ने मुङो मेदनी राम लिखना सिखाया. चेक पर मेरा ही साइन कराते रहे हैं. दूसरे कागजात पर वे खुद की साइन कर देते हैं. शुरू-शुरू में मीटिंग में मुङो ले जाते थे. बाद में वही जाने लगे. मेदनी को यह भी पता नहीं कि मुखिया को सरकार कितना पैसा देती है. योजना वगैरह की बात तो बहुत दूर की है. मेदनी के लिए काला अक्षर भैंस बराबर है.

मेदनी राम ने पटना के कमिश्नर और डीएम को आवेदन देकर कहा है कि पूर्व मुखिया विजेंद्रधारी शर्मा ने उन्हें बंधुआ बना कर रखा है. मुखिया के सभी अधिकारों का इस्तेमाल वही करते हैं. उन्होंने लिखा है, जब भी मैं इसका विरोध करता हूं, तो मुङो जान से मारने और झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी जाती है. मेदनी ने अधिकारियों को दिये आवेदन के साथ शपथपत्र भी दिया है. इसमें उन्होंने अपनी आपबीती बतायी है. 10 जुलाई को वह दोनों अधिकारियों के कार्यालय गये और अपना आवेदन जमा कर दिया.

क्या आपको मुखिया के अधिकार के बारे में पता है?

मेदनी कहते हैं, हम कुच्छो नहीं जानते हैं. सब काम मालिक ही करते रहे हैं. इतने सालों के बाद आप उनका विरोध क्यों कर रहे हैं? मुखिया ने कहा कि कई महीनों से हम बीमार हैं. इसलिए मालिक के घर जाना-आना नहीं हो रहा है. इससे मालिक खिसिया गये हैं. मेदनी को यह भी नहीं पता कि उनकी पंचायत में कितना पैसा आता है. आज तक आपके मालिक ने कभी पैसा दिया की नहीं? मेदनी बताते हैं, बेटी की शादी के समय 14 हजार रुपये उन्होंने दिये थे.

नया आया हूं, सभी मुखियाओं को नहीं जानता: बीडीओ

बिक्रम प्रखंड के बीडीओ बिंदु कुमार ने कहा कि मैं यहां नया-नया आया हूं. सभी मुखियाओं के बारे में नहीं जानते. उनका नाम भी नहीं मालूम. पंचायत सचिव से पंचायतों के बारे में जानकारी लेता हूं. बैठकों में भी सभी मुखिया नहीं आते. हमारे ब्लॉक में 16 पंचायतें हैं. मेदिनी राम के बारे में आपसे ही सुन रहा हूं. इसके बारे में पता करता हूं. उन्होंने आयुक्त-डीएम को लिख कर दिया है, तो मामले की छानबीन होगी.

पहले हमारे यहां काम करता था, अब नहीं : विजेंद्रधारी शर्मा

पूर्व मुखिया विजेंद्रधारी शर्मा ने फोन पर बात करते हुए कहा कि पहले मेरे गाय-गोरू को गवत-पानी देने का काम मेदनी ही करता था. अब नहीं. यह कहना गलत है कि उसको हमने बंधुआ बनाया हुआ है. वह बीमार है और अपने घर पर ही रहता है. हो सकता है कि उसके नाम पर दूसरे लोगों ने डीएम को आवेदन दे दिया हो. शर्मा ने कहा कि चुनाव में हमने उसे सपोर्ट किया था.

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