अमित शाह भाजपा के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये हैं, उन्होंने राजनाथ सिंह से पदभार ग्रहण किया. अमित शाह को पार्टी का अध्यक्ष बनाये जाने पर कई लोग यह प्रतिक्रिया दे रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ करीबी होने के कारण उन्हें यह पद मिला, लेकिन यह पूरा सच नहीं है.
अमित शाह एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो पार्टी संगठन को मजबूती प्रदान कर सकते हैं. अमित शाह के व्यक्तित्व का मजबूत पक्ष यह है कि वे एक ऐसे क्षमतावान व्यक्ति हैं, जिनमें संगठन और नेतृत्व की अद्भुत क्षमता है. उनके अंदर वह कौशल है, जो उन्हें नयी योजनाओं को संपूर्ण करने का सामर्थ्य प्रदान करता है.
आज जब अमित शाह को अध्यक्ष बनाये जाने की घोषणा पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने की, तो उन्होंने अमित शाह के इन गुणों का बखान भी किया. राजनाथ सिंह ने कहा कि अमित शाह में हर परिस्थिति से निपटने की प्रबंधन क्षमता है.
अमित शाह का परिचय
अमित शाह का जन्म 1964 में मुंबई में एक कारोबारी परिवार में हुआ था. इनके पिता अनिलचंद्र शाह एक संपन्न बिजनेसमैन थे. इनकी शुरुआती शिक्षा यहीं पर हुई थी. लेकिन उन्होंने अहमदाबाद से बायोकेमस्ट्री में स्नातक किया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बनने से पहले अमित शाह ने स्टॉक ब्रोकर के रूप में भी काम किया है.
नरेंद्र मोदी से अमित शाह की मुलाकात 1982 में मिले थे. अमित शाह 1986 में भाजपा में शामिल हुए थे. वे 1997 में पहली बार विधायक बने. वर्ष 2002 मेंभी सरखेज से अमित शाह विधायक बने और उन्होंने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की. 2007 में भी वे रिकॉर्ड मतों से जीतकर आये. जब नरेंद्र मोदी गुजरात के दुबारा मुख्यमंत्री बने थे, तो उन्होंने अमित शाह को अपने कैबिनेट में गृह राज्यमंत्री बनाया था.
अमित शाह के समक्ष चुनौतियां
अमित शाह की अद्भुत प्रबंधन क्षमता को देखते हुए पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद तो सौंप दिया है, लेकिन अब उन उनके सामने यह चुनौती है कि वह पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरें. लोकसभा चुनाव में शाह पर उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी थी, जहां उन्होंने पार्टी को उम्मीद से ज्यादा सीटें दिलायीं. पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए अमित शाह पर यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वे उन राज्यों में जहां भाजपा की पकड़ नहीं है, वहां पकड़ बनायें तथा जहां भाजपा है वहां उसका विस्तार करे. गौरतलब है कि आने वाले दिनों में झारखंड, महाराष्ट्र, केरल, जम्मू-कश्मीर और संभवत: दिल्ली में भी चुनाव हो सकते हैं. इन चुनावों में भाजपा को मजबूत बनाने की चुनौती अमित शाह के सामने है.
विवादों से रहा है नाता
वर्ष 2010 में शोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति के फर्जी एनकाउंटर मामले में आरोपी बनाये जाने के बाद अमित शाह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
गुजरात दंगे के वक्त भी नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर यह आरोप लगा कि उन्होंने डीजीपी आरबी श्रीकुमार की रिपोर्ट को दरकिनार किया.
गुजरात में एक महिला की जासूसी कराये जाने के मामले में भी अमित शाह पर आरोप लगे. आरोप है कि मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर अमित शाह ने एक महिला की जासूसी करवाई.