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निगम के लिए आरटीआइ बना मजाक !

प्रसनजीत कुछ जानकारी मिली, तो वह भी संतोषजनक नहीं गया : चना का अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) नगर निगम के लिए महज मजाक ही मालूम पड़ता है. एक व्यक्ति द्वारा बार-बार सूचना मांगे जाने के बावजूद उसे सूचना उपलब्ध नहीं कराया जाना, तो यही इशारा कर रहा है. बैरागी मुहल्ले के रहनेवाले रामसेवक सिन्हा ने अपने […]

प्रसनजीत

कुछ जानकारी मिली, तो वह भी संतोषजनक नहीं

गया : चना का अधिकार अधिनियम (आरटीआइ) नगर निगम के लिए महज मजाक ही मालूम पड़ता है. एक व्यक्ति द्वारा बार-बार सूचना मांगे जाने के बावजूद उसे सूचना उपलब्ध नहीं कराया जाना, तो यही इशारा कर रहा है. बैरागी मुहल्ले के रहनेवाले रामसेवक सिन्हा ने अपने ही इलाके की कई जानकारी लेने के लिए आरटीआइ दाखिल की. लेकिन, उनमें से अधिकतर की जानकारी निगम उपलब्ध नहीं करा सका. कुछ की जानकारी भी दी, तो वह आवेदक के लिए संतोषजनक नहीं है.

रामसेवक सिन्हा तो महज एक उदाहरण हैं, उनके जैसे ही शहर के और लोग भी होंगे, जिन्हें निगम की ओर से सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी होगी. भारत के संसद में पारित इस कानून का अनुपालन नहीं कर नगर निगम अपनी एक और लापरवाही का परिचय दे रहा है. नगर सरकार के कामकाज की जानकारी अगर लोगों को नहीं मिलेगी, तो यह उसके कामकाज पर प्रश्नचिह्न् खड़ा करता है.

लोगों का अधिकार छीना

आवेदक रामसेवक सिन्हा कहते हैं कि तमाम आवेदनों के बाद जब उन्हें जवाब नहीं मिला, तो उन्होंने जिला पदाधिकारी के पास भी कई बार अर्जी भेजी, लेकिन वहां भी इसकी अनदेखी हुई. उन्होंने कहा कि उम्र अधिक होने के कारण वह अधिक भाग-दौड़ करने की स्थिति में नहीं हैं. इस वजह से उन्होंने दूसरी व तीसरी अपील की प्रक्रिया नहीं अपनायी. श्री सिन्हा ने निगम की व्यवस्था के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा कि सूचनाएं उपलब्ध नहीं करा कर निगम ने देश के कानून का तो उल्लंघन किया ही है, साथ ही लोगों के अधिकारों को भी छीनने का काम किया है.

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