आज की आपाधापी में बेरोजगारी और महंगाई से जन्मी आर्थिक तंगी से हर व्यक्ति त्रस्त है. उसमें भी एक बड़ी परेशानी हम बराबर झेल रहे हैं, वह है अपराधियों का खौफ. आज के समय में अपराध का बोलबाला इतना बढ़ गया है कि लोग हर रोज गाजर-मूली की तरह काटे जा रहे हैं. खबरों में हर ओर खून-खराबा, अपहरण, बलात्कार की घटनाएं देखी और सुनी जा रही हैं.
रात के आठ बजे आप चैन से अपने घर पर बैठे टीवी देख रहे होते हैं और आपके गेट पर पांच-छह लोग आकर खड़े हो जाते हैं और पीने-खाने के नाम पर आपसे रंगदारी मांगते हैं, तो इसे आप क्या कहेंगे? आपने उन्हें कुछ देकर चलता किया तो हफ्ते-दस दिनों में वे फिर आते हैं. शिकायत करने पर पुलिस कहती है कि मांगते हैं तो दे क्यों नहीं देते! ऐसे में हम करें तो क्या करें? आखिर आम आदमी कहां जाये?
सुरेंद्र महली, मोरहाबादी, रांची