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पहली ही बारिश में सड़कें बनी तालाब

बिहार व झारखंड के प्रमुख शहर मानसून आने से पहले प्यास से परेशान थे. अब सामान्य मानसून आने पर ही पटना से रांची से लेकर भागलपुर, मुजफ्फपुर, जमशेदपुर, धनबाद व देवघर पानी में उतराने लगा है. दोनों राज्यों के छोटे-छोटे कस्बों में भी जल जमाव से बाढ़ जैसी स्थिति है. दरअसल जब भी मानसून पूरा […]

बिहार व झारखंड के प्रमुख शहर मानसून आने से पहले प्यास से परेशान थे. अब सामान्य मानसून आने पर ही पटना से रांची से लेकर भागलपुर, मुजफ्फपुर, जमशेदपुर, धनबाद व देवघर पानी में उतराने लगा है. दोनों राज्यों के छोटे-छोटे कस्बों में भी जल जमाव से बाढ़ जैसी स्थिति है. दरअसल जब भी मानसून पूरा बरसता है, तो दोनों राज्यों के शहरों की प्लानिंग की पोल-पट्टी खुल जाती है.

स्थानीय निकाय के जन प्रतिनिधियों के शहर को जल-जमाव से मुक्त करने के तमाम वादे मानसून की बारिश में डूब जाते हैं. बिहार या झारखंड के छोटे कस्बे हों या शहर, सभी जगह जल जमाव से निबटने की कोई मुकम्मल योजना नहीं है. टुकड़े-टुकड़े में कभी किसी गली-मोहल्ले के आंदोलन पर या किसी नेता की सक्रियता पर योजनाएं बनती हैं, तो इसका लाभ कम और नुकसान ज्यादा दिखाई देता है. बारिश के पानी के प्रबंधन को लेकर अगर ठोस योजना बनायी जाये, तभी इस तरह की समस्याओं का समाधान हो सकता है.

मसलन जल-जमाव से मुक्ति, पीने के पानी की सहज उपलब्धता, मच्छरों के प्रकोप से मुक्ति. पटना, मुजफ्फरपुर व भागलपुर में जल-जमाव की समस्या को लेकर कई बार नगर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी अपने बचाव में यह कहते हैं कि ये शहर पुराने हैं, इस कारण इस समस्या का समाधान आसान नहीं है. विशेषज्ञ इससे इतर राय रखते हैं. विशेषज्ञों का तर्क है कि पुराने शहर की बसावट ठीक थी. बाद के दिनों में अतिक्रमण के रोग ने इन शहरों की सारी प्लानिंग खराब कर दी. नालों का अतिक्रमण कर लिया गया है.

नालियों को पाट दिया गया. तालाबों को भर दिया गया है. ऐसे में जल-जमाव की स्थिति पैदा होना तय है. चूंकि नागरिक संगठन भी इन समस्याओं को लेकर जागरूक तो हैं, लेकिन इन संगठनों का इस दिशा में कोई भी प्रभावी काम नहीं हो पाया है क्योंकि स्थानीय निकाय के जन प्रतिनिधि व अधिकारी किसी की सुनने को तैयार ही नहीं हैं. लेकिन अब जैसी स्थितियां बन जा रही हैं, उसके साफ-साफ संकेत है. सुधरो वरना ये शहर व कस्बे रहने लायक नहीं बचेंगे. इस चेतावनी को समझ कर दोनों ही राज्यों को योजनाबद्ध तरीके से जल-जमाव की स्थिति से बचाने की तैयारी करनी चाहिए.

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