संजय
अब गौरिया करमा में लगायेंगे अनार, पपीता व अमरूद
400 एकड़ जमीन के लिए सरकार के साथ करार
रांची : यह शख्स झारखंड में फलों की खेती में क्रांति ला रहा है. बगैर शोरगुल के चुपचाप. राज्य भर में केले की इतनी विस्तृत खेती कहीं नहीं होती. बिरसा कृषि विवि सहित कई लोग तो इसे नामुमकिन बता रहे थे. यह काम मूलत: आंध्रप्रदेश के रहनेवाले व अब झारखंड में रह रहे केएस राव ने कर दिखाया है. लोहरदगा के घाघरा में करीब 50 एकड़ बंजर जमीन पर केले की लहलहाती खेती लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है.
यहां पैदा होने वाला केला बेहद मीठा होता है. दो वर्ष पहले स्थानीय कांग्रेसी नेता शिवकुमार भगत व अन्य रैयतों से लीज पर जमीन लेकर इस मुहिम की शुरुआत हुई. राव ने सोचा कि जब झारखंड के कई घरों के पिछवाड़े (बैकयार्ड) में केला हो सकता है, तो इसकी विस्तृत खेती में क्या दिक्कत है. राव की सोच का नतीजा सामने है. पहले कुआं खोदा गया. पानी की कमी से निबटने के लिए पास की नदी से भी पाइप के सहारे पानी कुएं में पहुंचाया गया. पानी बरबाद न हो, इसलिए ड्रिप इरिगेशन (बूंद-बूंद सिंचाई) सिस्टम से केले के पौधे सींचे गये.
राव व उनके सहयोगियों की मदद से 500 टन केले का उत्पादन पहली फसल के रूप में हुआ. राव ने कहा-तीन माह बाद अक्तूबर में दूसरी फसल होगी. उम्मीद है उत्पादन 700-800 टन रहेगा. रांची, गुमला व आसपास के जिले में राव साहब का केला मशहूर है. रोबोस्ता के नाम से रिलायंस फ्रेश व मार्ट के कुल 22 स्टोर में बिक रहा केला ज्यादातर गुमला का ही होता है. स्थानीय व्यापारी भी यहीं से केला खरीद रहे हैं. आंध्र व महाराष्ट्र से मंगाने पर होनेवाला ट्रांसपोर्ट खर्च उन्हें नहीं हो रहा.