धनबाद: जिला प्रशासन अपना दफ्तर ‘कंबाइंड बिल्डिंग’ का रख-रखाव करने भी असमर्थ है. यहां कोई 22 विभागों के कार्यालय हैं. लेकिन भवन काफी खस्ताहाल है. दीवारें चटक गयी हैं. जहां-तहां छत के प्लास्टर भी झड़ते मिल जायेंगे.
54 वर्षो में इस बिल्डिंग में रंग रोगन तो होते रहे हैं, लेकिन मरम्मत नहीं के बराबर हुई है. हालत यह है कि कभी भी यहां हादसा हो सकता है. इस भवन का उद्घाटन अविभाजित बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने 1960 में किया था. इसका उदद्ेश्य यह था कि एक ही बिल्डिंग में सभी कार्यालय हों ताकि लोगों को अपने काम के लिए भटकना नहीं पड़े. इतने बड़े बिल्डिंग में अभी तक पानी की व्यवस्था तक नहीं थी. एक माह पहले ही यहां पानी लगा है. नल आदि भी लगाने का काम अभी चल ही रहा है. इस पूरे बिल्डिंग में एकमात्र डीआरडीए कार्यालय में चमक-दमक है. नीचे फ्लोर पर टाइल्स लगा है. सभी कमरे को कॉरपोरेट लुक दिया गया है, लेकिन बाकी के कार्यालय अभी भी 40 साल पहले वाली स्थिति में ही चल रहे हैं. पुराने टेबल एवं कुर्सी है. कर्मचारियों के बैठने और काम करने में भी कोई बदलाव नहीं आया है.
इस बिल्डिंग के ऊपर के सबसे ऊपर के तल्ले को छोड़ दें तो बाकी सभी जगह गंदगी के अंबार लगे हुए मिल जायेंगे. सीढ़ी के किनारे नीचे से ऊपरी तल्ले तक पान और गुटके की पीक दीवारों पर देखने को मिल जायेंगे.
नहीं लगी गणोशजी की प्रतिमा : मिश्रित भवन के सीढ़ी पर लोग पान की पीक न फेंके इसके लिए सीढ़ी के किनारे गणोशजी की प्रतिमा लगाने की योजना बनायी गयी . मूर्ति का ऑर्डर भी दे दिया गया. आठ मूर्तियां बन भी गयी लेकिन विभिन्न संगठनों के विरोध के कारण इसे लगाने का काम स्थगित कर दिया गया है.
बना दिया मोटर साइकिल स्टैंड
भू-तल के कार्यालयों का वहां के कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने ही अतिक्रमण कर रखा है. सभी कार्यालयों के बाहर साइकिल एवं मोटरसाइकिल खड़ी रहती है. भू -तल पर जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला सहकारिता पदाधिकारी, उद्यान विभाग, खनन विभाग, सहायक निबंधन पदाधिकारी का कार्यालय है. पूरे भू-तल में दिन में ही अंधेरा रहता है. एक भी बल्ब भी नहीं जलता है. गंदगी इतनी है कि अंदर घुसते ही नाक पर रूमाल रखने के अलावा कोई चारा नहीं है. कार्यालय के बरामदे में जहां साइकिल और मोटरसाइकिल लगी हुई है वहीं चाय के प्लास्टिक के प्याले और कागज के टुकड़े देखकर वहां जाने वाले लोगों का मन भिन्नाये बिना नहीं रह सकता. यहां के अधिकांश कार्यालय ज्यादातर समय बंद ही मिलेंगे.
लिफ्ट वाला स्थान भी खतरनाक
इस बिल्डिंग में चढ़ने के लिए लिफ्ट भी बनाने थे , उसके लिए बकायदा जगह भी छोड़ी गयी है. लेकिन इतने सालों बाद भी यहां लिफ्ट नहीं लगा है. बड़े- बुजुर्ग अधिकारी, कर्मचारी या आम लोग ऊपर तल्ला तक चढ़ने के बाद हांफने लगते हैं. लिफ्ट के लिए जगह छोड़ दिये गये हैं लेकिन उसे घेरा भी नहीं गया है, अगर किसी को जानकारी नहीं हो तो उसमें कोई गिर भी सकता है.