जापान की कैबिनेट ने सुरक्षा नीति से जुड़े उन संवैधानिक सुधारों को मंज़ूरी दे दी है, जिसके बाद उसकी सेना देश से बाहर भी संघर्षों में हिस्सा ले सकेगी.
जापान का संविधान उसे अपनी रक्षा को छोड़कर किसी और विवाद के समाधान में सेना के प्रयोग की इजाज़त नहीं देता है.
संशोधन के बाद वह संकट में पड़े अपने साथी देशों की भी मदद कर पाएगा.
प्रधानमंत्री का समर्थन
प्रधानमंत्री शिंजो आबे इसका समर्थन कर रहे हैं. उनका कहना है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सुरक्षा हालात को देखते हुए जापान की सुरक्षा नीति में बदलाव लाने की ज़रूरत है.
इन सुधारों के विरोध में रविवार को टोकियो में एक व्यक्ति ने ख़ुद को आग लगा ली थी.
आबे ने मई में सलाहकारों की एक रिपोर्ट पर इन सुधारों का समर्थन किया था.
दूसरे विश्व युद्ध में आत्मसमर्पण के बाद जापान ने शांतिवादी संविधान अपनाया था.
इसके बाद से जापानी सैनिक किसी युद्ध में शामिल नहीं हुए हैं. हालांकि उसके कुछ सैनिकों ने संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षा अभियानों में भाग ज़रूर लिया है.
(बीबीसी हिंदी का एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें. आप बीबीसी हिंदी से फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी जुड़ सकते हैं.)