नयी दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी की सांसद उमा भारती भी अब साई पूजा के विवाद में कूद पड़ी है. उन्होंने शकराचार्य के विरोध के बावजूद साई पूजा को सही ठहराया है. उन्होंने कहा कि साई की पूजा मैं भी करती हूं, साई ने कभी नहीं कहा कि मैं भगवान हूं. यहां बात आस्था की है. उमा भारती के साई भक्तों के साथ खड़े होने से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य नाराज है. लेकिन साई भक्तों को अपनी तरफ करने में उमा सफल रही है.
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में साई पूजा को लेकर चर्चा जोरों पर है. इस पर चर्चा तब गर्म हो गयी, जब शंकराचार्य ने साई पूजा के विरोध में बयान देते हुए इसे मात्र एक व्यापार बता दिया. इतना ही नहीं उन्होंने कहा, पिछले कुछ दशकों में साई भक्तों में भारी बढ़ोतरी हुई है. इसका सबसे बड़ा कारण प्रचार है. शंकराचार्य ने साई पर चढ़ने वाले चढ़ावे पर भी सवाल उठाया था. उन्होंने कहा, साई भक्ति अंधविश्वास के सिवाय कुछ नहीं.
साई के मंदिर बनाकर पूजा-अर्चना सनातन धर्म के विरुद्ध है. इससे ¨हिंदू समाज के बंटने का खतरा पैदा हो गया है. साई ¨हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक नहीं हैं.’ शंकराचार्य इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने कहा कि साई भक्ति के बढ़ते रुझान से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मुहिम भी कमजोर पड़ेगी. अविरल गंगा की पैरवी करते हुए उन्होंने गंगा और उसकी सहायक नदियों पर बांध बनाने का भी विरोध किया.
शंकराचार्य ने साई को एकता का प्रतिक मानने से भी इनकार कर दिया था.शंकराचार्य ने कहा- ये कहा जाता है कि साई बाबा हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक हैं. ये प्रतीक तो तब होता जब हिंदुओं के साथ मुसलमान भी मानते. मुसलमान साई की पूजा नहीं करते तो हिंदू क्यूं करते हैं.
साई पूजा बस एक भ्रम है जो समाज में फैलाया जा रहा है. शंकराचार्य के इन बयानों के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएं आयीं यहां तक की साई की जाति और उनकी जीवन शैली पर भी चर्चा जोरों पर होने लगी अब उमा के समर्थन के बाद साई की पूजा के इस मुद्दे पर नयी जान आ गयी है.