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”एक विलेन”:लवस्टोरी में रोमांस की कमी

।।उर्मिला कोरी।। फिल्म : एक विलेननिर्माता: बालाजी फिल्म्सनिर्देशक: मोहित सूरीसंगीतकार: मिथुन और अंकित तिवारीकलाकार: सिद्धार्थ मल्होत्र, श्रद्धा कपूर, रितेश देशमुख, आमना शरीफ और कमाल खानरेटिंग: ढाई एक इंसान में कई चेहरे होते हैं. उसके भीतर ही हीरो(रोशनी) है और उसके अंदर ही विलेन(अंधकार) है बस उसे यह समझने की जरूरत कि अंधेरे को अंधेरे से […]

।।उर्मिला कोरी।।

फिल्म : एक विलेन
निर्माता: बालाजी फिल्म्स
निर्देशक: मोहित सूरी
संगीतकार: मिथुन और अंकित तिवारी
कलाकार: सिद्धार्थ मल्होत्र, श्रद्धा कपूर, रितेश देशमुख, आमना शरीफ और कमाल खान
रेटिंग: ढाई

एक इंसान में कई चेहरे होते हैं. उसके भीतर ही हीरो(रोशनी) है और उसके अंदर ही विलेन(अंधकार) है बस उसे यह समझने की जरूरत कि अंधेरे को अंधेरे से नहीं बल्कि रोशनी से खत्म किया जा सकता है यानि बुराई का खात्मा सिर्फ अच्छाई से ही किया जा सकता है. भट्ट कैंप से पहली बार दूसरे बैनर(बालाजी फिल्म्स) के लिए फिल्म बना रहे निर्देशक मोहित सूरी निर्देशित फिल्म एक विलेन की कहानी भी मूल रूप से इसी बात के इर्द -गिर्द घूमती है. फिल्म की सोच जितनी अच्छी है उसका प्रस्तुतीकरण उतना सही और सटिक नहीं है. फिल्म की कहानी एक गुंडे गुरू( सिद्धार्थ मल्होत्र) की है. जिसके मां बाप की हत्या बचपन में हो जाती है और इसी गुस्से को बदला वो पूरी दुनिया से लेना चाहता है. खून करना उसने आदत बना लिया है लेकिन फिर भी उसे वह सुकून नहीं मिल पाया है. उसकी मुलाकात आएशा (श्रद्धा कपूर) से होती है. आएशा जो कि किसी बीमारी से जूझ रही है और उसके पास वक्त बहुत कम है. वह दुनिया में सब तरफ खुशियां बांटना चाहती है. आएशा की यह सोच गुरू की जिंदगी बदल देती है और उसे भी वह सुकून मिल जाता है.

आएशा और गुरू शादी कर लेते हैं वह नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरु करना चाहते हैं कि इसी बीच एक साइको किलर (रितेश देशमुख)आएशा की जान ले लेता है. बुराई का खात्मा अच्छाई से ही हो सकता है. क्या गुरू आयशा की कही हुई इस बात को अब अपनी जिंदगी में शामिल कर पाएगा. इसी के इर्द-गिर्द फिल्म की कहानी है. फिल्म की कहानी में थ्रिलर एलिमेंट पूरी तरह से गायब है. शुरुआत से ही मालूम हो जाता है कि साइको किलर कौन है. जिससे फिल्म का रोमांच पूरी तरह से गायब हो जाता है. कहानी की एक बड़ी कमी यह भी है कि इसमें बार बार जिक्र आता है कि हीरोइन मरने वाली है. उसे जानलेवा बीमारी हैं, पता ही नहीं चलता कि आखिर उसे बीमारी क्या थी. फिल्म में कई बार एक तरह के दृश्यों का दोहराव भी है.

जैसे बार बार गुरू को साइको किलर राकेश को मारना फिर उसका इलाज करवाना. जिस वजह से फिल्म पूरी तरह से बांधे रखने में नाकामायब है. आशिकी टू जैसी सुपरहिट लवस्टोरी बनाने वाले मोहित सूरी की यह फिल्म लवस्टोरी के एंगल पर भी फेल है. श्रद्धा और सिद्धार्थ की केमिस्ट्री परदे पर निखरकर सामने नहीं आती है. अभिनय की बात करें तो श्रद्धा कपूर और सिद्धार्थ मल्होत्र दोनों ने ही अपने किरदारों को परदे पर बखूबी जिया है. अभिनय के नाम पर राकेश के किरदार में नजर आएं रितेश जरुर बाजी मार ले जाते है. अन्य किरदारों में रेमों फर्नाडीज की संवाद बोलने में लडखडाते दिखते हैं तो कमाल खान अपने रियल लाइफ के बेतुके बड़बोलेपन के ही अंदाज में इस फिल्म में भी दिख रहे हैं. अन्य पक्ष में फिल्म के दृश्य बहुत ही खूबसूरत है और संगीत भी लाजवाब है. निर्देशक मोहित सूरी इस मामले में भट्ट कैंप की फिल्मों का जरूर अनुसरण करते दिखे हैं लेकिन अन्य मामलों में वह कमजोर साबित हुए हैं.

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