पटना: बिहार के समाज को आधुनिक और प्रगतिशील बनाने में कई लोगों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिनकी असाधारण प्रतिभा ने समाज को नयी दिशा दी है. उन्हीं में से एक नाम डॉ पी गुप्ता का है. वे न केवल एक डॉक्टर के रूप में जाने जाते थे, बल्कि इतिहासकार, वैज्ञानिक और समाजवादी रूप में भी उन्होंने अलग पहचान बनायी थी. बिहार की ऐसी विभूतियों के अलबम तैयार कर उन्हें जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है.
यह कहना है कवि आलोक धन्वा का. वे गुरुवार को आइएमए हॉल में आयोजित जन चिकित्सक व समाजवादी विचार के अग्रदूत डॉ पी गुप्ता की श्रद्धांजलि सभा को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि डॉ पीयूषेंदू ने पांच दशकों तक समर्पित होकर जनता की सेवा की. लंबे समय तक उन्होंने मात्र दो रुपये फीस लेकर लोगों का इलाज किया. अधिवक्ता चंद्रशेखर नारायण सिंह ने कहा कि डॉ पी गुप्ता ऐसे व्यक्ति का नाम है, जिन्होंने गांव-टोले में जाकर काम किया. साथ ही राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाया. एमएलसी तनवीर हसन ने कहा कि डॉ पी गुप्ता गरीबों के डॉक्टर रहे. साहित्यकार खगेंद्र ठाकुर ने कहा कि वे ‘बिहार हेराल्ड ’ नामक अखबार के संपादक के रूप में भी चर्चित रहे.
उन्होंने इस अखबार को दोबारा शुरू किया था. इतिहासकार ओपी जायसवाल ने कहा कि डॉ गुप्ता ने ग्रामीण इलाकों में 25 वर्षो तक सेवा की. यही नहीं, उन्होंने 1970 में इतिहास विषय में एमए की डिग्री ली, इसमें उन्हें गोल्ड मेडल मिला. उन्होंने बेगूसराय में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित कराया. कवि अरुण क मल ने कहा कि डॉ गुप्ता ने पटना में ओल्ड एज अस्पताल की स्थापना की थी. श्रद्धांजलि सभा में वरीय अधिवक्ता सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह, पूर्व आइजी उमेश सिंह, रामशेखर, सीपीआइ एमएल के अरविंद सिन्हा, डॉ सत्यजीत कुमार सिंह, केपी जायसवाल शोध संस्थान के निदेशक जगदीश्वर पांडेय, पूर्व आइएएस एसएन सिन्हा, तारा शरण सिन्हा, अनीश अंकुर, बद्रीनारायण लाल, सामाजिक कार्यकर्ता अक्षय कुमार और अरुण शादरूल भी शामिल थे.