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सरकारी राशि की बंदरबांट हुई

21 गांव में फरजी पशु स्वास्थ्य शिविर दिखा कर गढ़वा : पशुपालन विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2011-12 में गढ़वा प्रखंड के 21 गांवों में फरजी पशु स्वास्थ्य शिविर लगा कर लाखों रुपये की सरकारी राशि की बंदरबांट कर ली गयी. इस बात का खुलासा सूचना अधिकार अधिनियम 2005 (आरटीआइ) के तहत मांगी गयी सूचना के […]

21 गांव में फरजी पशु स्वास्थ्य शिविर दिखा कर

गढ़वा : पशुपालन विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2011-12 में गढ़वा प्रखंड के 21 गांवों में फरजी पशु स्वास्थ्य शिविर लगा कर लाखों रुपये की सरकारी राशि की बंदरबांट कर ली गयी. इस बात का खुलासा सूचना अधिकार अधिनियम 2005 (आरटीआइ) के तहत मांगी गयी सूचना के बाद हुआ है. समाचार के अनुसार वित्तीय वर्ष 2011-12 में पशुपालन विभाग द्वारा गढ़वा प्रखंड के 21 गांवों में पशु स्वास्थ्य शिविर सह नि:शुल्क दवा वितरण का आयोजन फरजी तरीके से करके लाखों रुपये की राशि के बंदरबांट की गयी.

इसमें एक ही व्यक्ति द्वारा सभी शिविर में मुखिया, पूर्व मुखिया तथा ग्रामीण बन कर शिविर को संपन्न कराया गया है. मिली सूचना के अनुसार 23 जनवरी 2012 को दुबे मरहटिया गांव में शिविर में 135 पशुओं का इलाज दिखाया गया है. इसमें ग्रामीण गोखुल दुबे क ी उपस्थिति में शिविर संपन्न दिखाया गया है.

इसी तरह 28 जनवरी 2012 को कोरवाडीह गांव में 184 पशुओं की जांच दिखायी गयी है. यहां भी ग्रामीण के रूप में गोखुल दुबे का हस्ताक्षर पंजी में दर्ज है. 29 जनवरी 2012 को जाटा गांव में शिविर लगा कर 148 पशुओं की जांच दिखायी गयी. जिसमें पूर्व मुखिया गोखुल दुबे की उपस्थिति दिखायी गयी है. 31 जनवरी 2012 को कल्याणपुर में शिविर लगाया गया, यहां भी मुखिया गोखुल दुबे की उपस्थिति में शिविर संपन्न दिखाया गया. जबकि यहां की मुखिया विमला कुंवर हैं.

इसी तरह 14 फरवरी 2012 को करूआ कला गांव में मुखिया गोखुल दुबे की उपस्थिति में 133 पशुओं की जांच दिखायी गयी. जबकि यहां के मुखिया सिद्धेश्वर उपाध्याय हैं. 18 फरवरी 2012 को ओबरा में मुखिया गोखुल दुबे की उपस्थिति में 241 पशुओं की जांच दिखायी गयी. जबकि यहां की मुखिया उषा देवी हैं. 22 फरवरी 2012 को छतरपुर में मुखिया गोखुल दुबे की उपस्थिति में 105 पशुओं की जांच दिखायी गयी. जबकि यहां के मुखिया मुजीबुर्ररहमान हैं. 28 फरवरी 2012 को महुलिया गांव में 149 पशुओं की जांच दिखायी गयी.

यहां भी पंजी में मुखिया गोखुल दुबे का नाम दर्ज है. जबकि यहां की मुखिया महिला है. इसी तरह एक मार्च 2012 को उड़सुगी में 33 पशुओं की, चार मार्च 2012 को संग्रहें में 156 पशुओं की, पांच मार्च 2012 को प्रतापपुर में 149 पशुओं की एवं सात मार्च को बेलचंपा में 90 पशुओं की जांच पूर्व मुखिया गोखुल दुबे की उपस्थिति में दिखायी गयी. इसी तरह 10 मार्च 2012 को फरठिया में 99 पशु, 12 मार्च 2012 को पीपरा में तथा 14 मार्च 2012 को तिलदाग में मुखिया गोखुल दुबे की उपस्थिति में जांच शिविर व दवा का वितरण दिखाया गया. जबकि तिलदाग की मुखिया श्वेता

दुबे हैं.

एक ही व्यक्ति गोखुल दुबे द्वारा सभी गांवों में मुखिया, उप मुखिया व ग्रामीण बनकर शिविर को संपन्न दिखाया गया और लाखों रुपये की दवाओं का भी नि:शुल्क वितरण किया गया. इस पंजी में पशु शल्य चिकित्सक के अलावा तत्कालीन जिला परिषद उपाध्यक्ष सत्यनारायण यादव का भी हस्ताक्षर है. गढ़वा प्रखंड के अचला निवासी ब्रजेश कुमार धरदुबे द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गयी सूचना के बाद विभाग द्वारा दी गयी पंजी को देखने के बाद साफ हो जाता है कि किस तरह से लाखों रुपये की राशि की बंदरबांट की गयी है.

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