नयी दिल्ली : इराक में जारी संघर्ष के कारण कच्चे तेल की कीमतों पर पड़नेवाले प्रभाव से भारत की नयी सरकार चिंतित है. आयातित तेल पर भारी निर्भरता को देखते हुए तेल कीमतों में वृद्धि का असर अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार की सरकार की योजना पर पड़ सकता है. कच्चे तेल के दाम में सोमवार को तीसरे दिन तेजी दर्ज की गयी. चरमपंथियों ने इराक के कई और भू-भागों पर कब्जा कर लिया है. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चेतावनी दी है कि संकट का असर अन्य देशों पर भी पड़ सकता है.
एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने कहा कि इराक हमारे लिए चिंता का कारण है. इराक में हिंसा का प्रभाव तेल कीमतों तथा आपूर्ति पर पड़ रहा है. कच्चे तेल का दाम नौ महीने के उच्च स्तर 115 डालर प्रति बैरल से अधिक हो गया. चूंकि भारत अपनी कुल जरूरतों का 79 प्रतिशत आयात करता है. ऐसे में कच्चे तेल की ऊंची कीमत से एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा. तेल कीमतों में वृद्धि से राजकोषीय तथा चालू खाते का घाटा बढ़ेगा. साथ ही, पहले से ऊंची मुद्रास्फीति और बढ़ सकती है.
दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश ने 2013-14 में 19 करोड़ टन तेल का आयात किया. इसमें से 13 प्रतिशत इराक से आया था. आयात के मामले में सऊदी अरब के बाद इराक दूसरे स्थान पर है. कयास लगाया जा रहा है कि इससे बाजार प्रभावित होगा.
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