आज हमारी सरकारों द्वारा लड़कियों के उत्थान और विकास के लिए कई योजनाएं चलायी जा रही हैं, जिनमें शिक्षा, रोजगार सहित विवाहोपरांत मदद भी शामिल है, ताकी बेटियों के मां-बाप को बेटियां बोझ न लगें और लड़कियां आत्मनिर्भर हो सकें. इसके बावजूद आज भी हमारी बेटियां दहेज प्रताड़ना की शिकार हो रही हैं और हमारा समाज आज भी बेटियों के लिए वही मानसिकता अपनाये हुए है.
गरीब मां-बाप बड़े ही अरमानों के साथ अपनी बेटियों की शादी करते हैं. किसी के गले का हार बनते ही ये लड़कियां टूट कर बिखर जाती हैं. ससुराल में दहेज के ताने सह कर ये कोमल कलियां मुरझा जाती हैं. इनके सपनों को पैरों से रौंद कर इन्हें घर से निकाल दिया जाता है. उसके बाद ये बेटियां कानून और समाज से न्याय मांगती हैं. लेकिन यह समाज कहता है कि इनके पति ने इन्हें छोड़ दिया है.
निहारिका सिंह, सोनारी, जमशेदपुर