नयी दिल्ली : भारतीय रेल ने अपने किराये में वृद्धि कर दी है. विभाग ने यात्री किराये में 14.2 प्रतिशत की वृद्धि की है, जबकि माल भाड़े में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि की है. रेलकिराये में वृद्धि आज से ही लागू हो गयी है.कांग्रेस ने रेल भाडे में वृद्धि को इतिहास की अब तक की सबसे बडी बढोत्तरी करार दिया और इसे तत्काल वापस लेने की मांग की.
रेल मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गयी है कि अंतरिम बजट के दौरान ही रेल किराया बढ़ना था, लेकिन उस वक्त यह निर्णय नहीं हो पाया था. मोदी सरकार 9 जुलाई को रेल बजट पेश करने वाली है. रेल किराये में जो बढ़ोत्तरी हुई है, उसका 10 प्रतिशत बेसिक किराये में किया गया है.जिन लोगों ने टिकट की बुकिंग पहले से करवाकर रखी थी, उन्हें अब यात्रा करने से पहले बढ़ी हुई राशि का भुगतान करना होगा.
गौरतलब है कि रेल किराये में बढ़ोत्तरी की कोशिश काफी समय से की जा रही थी, लेकिन गंठबंधन की सरकार के कारण फैसला लेना संभव नहीं हो पा रहा था. रेल किराये में काफी समय से बढ़ोत्तरी नहीं किये जाने के कारण रेलवे के रखरखाव पर असर पड़ रहा था.रेल किराया बढ़ाये जाने के समर्थन में सरकार ने यह तर्क दिया है कि रेल विभाग की जरूरतों को देखते हुए ऐसा किया जाना जरूरी था.
ज्ञात हो कि इससे पहले रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने बजट में यात्री किराया 10 फीसदी और माल भाड़ा 5 फीसदी तक बढ़ाने के संकेत दे दिए थे. रेल मंत्री के मुताबिक किराया बढ़ाना वक्त की मांग है. यह भी हो सकता है कि फ्यूल सरचार्ज के नाम पर किराया बढ़ाया जाए. रेलवे को इससे 8,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि मिल सकती है.
रेल किराये और माल भाडे में एकमुश्त बढोत्तरी के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए कांग्रेस महासचिव और मीडिया विभाग के प्रमुख अजय माकन ने भाजपा के नारे अच्छे दिन आने वाले हैं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मोदी सरकार का तोहफा .. मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग और गरीबों के कंधे पर अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है.
माकन ने संप्रग सरकार द्वारा रेल किराये में की गई बढोत्तरी पर मोदी के सात मार्च 2012 को किये गये ट्वीट का भी उल्लेख किया. उन्होंने मोदी द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे गये पत्र के एक हिस्से का हवाला दिया कि यह फैसला रेल मंत्रालय, उर्जा मंत्रालय, कोयला मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय के बीच व्यापक खाई को भी दर्शाता है. यह प्रधानमंत्री द्वारा समन्वय के लिए बनायी गयी एक उच्च स्तरीय समिति के बावजूद है. माकन ने कहा, ‘‘मैं यह पूछना चाहता हूं जिस समन्वय की कमी के बारे में उन्होंने लिखा था वह अभी भी है. जब वे विपक्ष में थे तो उन्होंने कुछ और कहा था और अब सत्ता में आने पर वह इसके विपरित कर रहे हैं.’’
बजट से पहले उठाये गये कडे कदम के तहत रेल मंत्रालय ने सभी श्रेणियों के यात्री किराये में 14.2 प्रतिशत और माल भाडा दरों में 6.5 प्रतिशत की भारी वृद्धि कर दी. यह वृद्धि 25 जून से लागू होगी. माकन ने कहा कि किराया बढोत्तरी का फैसला ऐसे समय में हुआ है जब प्याज और आलू की कीमतें आसमान छू रही हैं. साथ ही इराक के मौजूदा हालात को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों पर प्रभाव पडने की आशंका है.
कोलकाता: रेल यात्री किराये और मालभाडा बढाने को लेकर आज तृणमूल कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की तथा कहा कि क्या यह रेल बजट से पहले सुपर रेल बजट है.
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, ‘‘क्या यह रेल बजट से पहले सुपर रेल बजट है. आम आदमी पहले से ही बोझ तले दबा था, उसका बोझ तो और बढ जाएगा. ’’ उन्होंने कहा कि चुनाव से तुरंत पहले किराये में वृद्धि हुई.
उन्होंने कहा, ‘‘अब, एक बार फिर किराया बढाया गया. पिछली सरकार की तरकीब को वर्तमान सरकार ने भी अपनाया। आम आदमी के लिए कोई राहत नहीं है. ’’ संसद में चौथी सबसे बडी पार्टी तृणमूल के पास लोकसभा में 34 और राज्यसभा में 12 सदस्य हैं.
नयी दिल्ली: बजट से पूर्व उठाये गये ‘कड़े कदम’ के तहत रेल मंत्रालय ने शुक्रवार को सभी श्रेणियों के यात्री किराये में 14.2 प्रतिशत और माल भाड़ा दरों में 6.5 प्रतिशत की भारी वृद्धि की. प्रस्तावित वृद्धि का यह फैसला 25 जून से अमल में आयेगा. इस वृद्धि से रेलवे को सालाना 8,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा. फिलहाल रेलवे को यात्री वर्ग में हर माह 900 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. रेलवे ने इस फैसले के जरिये अपने 16 मई को की गयी घोषणा को अमल में लाने का काम किया है. तब लोकसभा चुनावों के नतीजे आने का दिन होने की वजह से किराया बढ़ाने की घोषणा होने के तुरंत बाद उसके क्रियान्वयन पर रोक लगा दी गयी थी. इस फैसले पर भाजपा ने जहां सरकार का बचाव किया है, वहीं कांग्रेस समेत तमाम दलों ने इसे अनैतिक करार दिया है.
वृद्धि में तेल का हिस्सा : रेलवे के मुताबिक यात्री किरायों की सभी श्रेणियों में सीधे 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि 4.2 प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि ईंधन समायोजन घटक यानी फ्यूज एडजस्टमेंट कॉस्ट के तौर पर की गयी है. इससे यात्री किराये में कुल मिलाकर 14.2 प्रतिशत वृद्धि हुई है.
फिर बदली तिथि : रेल मंत्रालयने पहले कहा कि किराये में वृद्धि तुरंत प्रभाव से लागू होगी, लेकिन बाद में घोषणा की गयी कि वृद्धि 25 जून से लागू होगी. मंत्रलय ने कहा कि फैसले को लागू करने के लिए अधिकारियों को कुछ समय चाहिए.
महंगाई भी बढ़ेगी
माला भाड़ा में 6.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी से रेलवे के जरिये आने-जाने वाले सामानों की कीमत पर भी जबरदस्त असर पड़ेगा. जानकारों के मुताबिक महंगाई दो फीसदी बढ़ सकती है. 2013 में रेलवे ने माल भाड़ा में 1.70 फीसदी का इजाफा किया था. यह 10 अक्तूबर 2013 को लागू किया था. तब भी महंगाई पर प्रभाव पड़ा था.
अटकी हैं परियोजनाएं
रेलवे सूत्रों के मुताबिक इस समय रेलवे की लगभग पांच लाख करोड़ की परियोजनाएं अटकी हैं. साथ ही सेफ्टी से जुड़े मामलों में काकोदकर कमेटी की रिपोर्ट लागू करने के लिए भी मंत्रालय को पैसा चाहिए. ऐसे में वित्त मंत्रलय की मदद के बाद भी किराया बढ़ाना जरूरी है.
कड़े फैसले की कड़ी
किराये में यह वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यह कहने के करीब एक सप्ताह बाद हुई है कि देश को ‘कड़े फैसलों’ के लिए तैयार रहना चाहिए. अगले माह रेल बजट पेश होगा. रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने भी रेल अधिकारियों के एक सम्मेलन में किराये में बढ़ोतरी के बारे में कहा था कि तीन-चार दिन में किसी निष्कर्ष पर पहुंच जायेंगे.
सालाना खर्च पर संकट
नकदी संकट से जूझ रहे रेलवे बोर्ड का कहना है कि सालाना खर्च को पूरा करना तब तक संभव नहीं है, जब तक पिछली सरकार द्वारा लिये गये फैसले को लागू नहीं किया जाता. इसलिए संशोधित दरों के क्रियान्वयन पर लगी रोक के आदेश को वापस ले लिया गया. मंत्रालय ने 16 मई को भाड़ा दरों में इस वृद्धि की घोषणा की थी.
बहुत जरूरी थी किराये में वृद्धि
आरएन मल्होत्र, पूर्व चेयरमैन रेलवे बोर्ड
रेल किराये और माल भाड़े में वृद्धि के अलावा मौजूदा सरकार के पास अन्य कोई विकल्प नहीं था. पिछले दस सालों से यात्री किराये भाड़े में वृद्धि नहीं हुई थी. पिछले साल मामूली बढ़त की गयी, जो नाकाफी थी. पिछले दस साल में डीजल की कीमतें कई गुना बढ़ चुकी हैं, लेकिन राजनीतिक कारणों से किराया नहीं बढ़ सका. गंठबंधन की राजनीति में राजनीतिक हितों को तवज्जो मिलती रही. रेलवे सुरक्षा व अन्य बुनियादी जरूरतों की अनदेखी होती रही. इससे रेलवे की माली हालत बदतर हो गयी.
रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए पैसा जुटाना मुश्किल होता गया. सरकार ने महंगाई को देखते हुए माल भाड़ा 6.5 फीसदी ही बढ़ाया. यह कहना गलत है कि सरकार को बजट तक किराया बढ़ाने का इंतजार करना था.
बजट में भी किराया बढ़ता, तो विरोधी सवाल उठाते ही. मेरा स्पष्ट मानना है कि किराये में वृद्धि से रेलवे की हालत में सुधरेगी. वर्ष 2002 के बाद पहली बार यात्री किराये में और माल भाड़े में वृद्धि के साथ सरकार को संसाधन जुटाने के लिए अन्य कई कदम उठाने होंगे. मोदी सरकार ने रेलवे में निवेश के लिए 100 फीसदी एफडीआइ लाने की बात कही है. अगर ऐसा हुआ तो आधुनिकीकरण और विस्तार योजनाओं को अमली जामा पहनाया जा सकता है.
रेल का देश के आर्थिक विकास में अहम रोल है. अगर इसकी हालत खस्ता रही, तो विकास के लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकेगा. यात्रियों को बेहतर सुविधा और सुरक्षा मिले, इसके लिए पूरे तंत्र को मजबूत करना होगा. पिछले दस साल में कई नयी रेल चलायी गयी, लेकिन पटरियों के रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया. यह यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरनाक है. मौजूदा सरकार को इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. पिछली सरकार ने भी किराये में वृद्धि के संकेत दिये थे, लेकिन राजनीतिक कारणों से यह फैसला टाल दिया गया. अब देखना होगा कि रेल बजट में सरकार रेलवे के लिए क्या कदम उठाती है. डेडीकेटेड फ्रेट कोरिडोर परियोजना को पूरा करना जरूरी है. इसके शुरू होने से रेलवे की आय बढ़ेगी. अगर रेलवे की दशा खराब हुई, तो खामियाजा आम लोगों को ही भुगतना होगा. ऐसे में सरकार का यह निर्णय बिल्कुल जायज है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए.
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