– आइआइटी-जेइइ एडवांस का रिजल्ट घोषित
– बिहार से 1370 सफल छात्रों में 940 पटना के
– राजस्थान के चित्रंग मुर्दिया देश भर में अव्वल
– लड़कियों में आइआइटी रुड़की क्षेत्र से अदिति टॉपर
पटना/कोलकाता : आइआइटी-जेइइ (एडवांस) का रिजल्ट गुरुवार को जारी कर दिया गया. राजस्थान के चित्रंग मुर्दिया ने कुल 360 में 334 अंक प्राप्त करके देश में टॉप किया, जबकि लड़कियों में आइआइटी, रुड़की क्षेत्र से अदिति ने शीर्ष स्थान प्राप्त किया. अदिति साझी मेधा सूची में सातवें स्थान पर रही. बिहार से 10987 छात्रों ने यह परीक्षा दी थी, जिनमें 1370 सफल रहे. इनमें पटना के 940 छात्र शामिल हैं.
देश भर में 33वां रैंक लानेवाले ऋषभ अग्रवाल बिहार टॉपर बने. किसलय राज को 77 वां रैंक, अभिषेक महतो को 79वां, वैभव को 116 वां, जबकि अभिषेक सिन्हा को 218वां रैंक हासिल हुआ. गणितज्ञ आनंद के सुपर-30 के मणिराम सिंह को फिजिकली डिसेबल्ड केटेगरी में राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा रैंक मिला.
देश भर में कुल पंजीकृत 1,26,997 उम्मीदवारों में 27,151 उत्तीर्ण हुए. टॉप 100 सफल विद्यार्थियों में पांच लड़कियां ही स्थान बना सकीं. जेइइ के प्रभारी और आइआइटी खड़गपुर के प्रोफेसर एमके पाणिग्रही ने कहा कि सफल विद्यार्थियों में केवल 11 प्रतिशत लड़कियां हैं. लड़कियों के खराब प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर अदिति ने कहा कि लड़कियों को इंजीनियरिंग संकाय में जाने के लिए न माता-पिता, न सामाजिक व्यवस्था से ही बढ़ावा मिलता है. मुङो इंजीनियरिंग में जाने के लिए मेरे परिवार का समर्थन मिला, लेकिन मेरी अधिकतर मित्रों ने मेडिकल या कॉमर्स विषय को चुना. इसलिए आपको इंजीनियरिंग संकाय में कम लड़कियां देखने को मिलती हैं.
इसका अर्थ यह नहीं है कि लड़कियां अच्छी इंजीनियर नहीं बन सकतीं.
बिहार के कई छात्रों ने कठिनाइयों के बावजूद सफलता हासिल की. इनमें बोरिंग रोड इलाके में घर-घर गैस पहुंचाने वाले लक्ष्मण प्रसाद के पुत्र राहुल राज गुप्ता ने ऑल इंडिया स्तर पर 3054 रैंक और ओबीसी में 382 रैंक प्राप्त किया. इसी तरह मोची का काम कर परिवार को पालनेवाले हिलसा (नालंदा) के संजीव रविदास के बेटे सुधीर कुमार ने एससी केटेगरी में 3900 रैंक प्राप्त किया. रिजल्ट के बाद कोचिंग संस्थानों से लेकर छात्रों के घरों में जम कर खुशियां मनीं.
आनंद के सुपर 30 में 27 सफल
सुपर-30 के कुल 30 छात्र-छात्राओं में 27 इस बार सफल हुए. इनमें पटना जिले के संडा गांव निवासी एक दैनिक मजदूर का पुत्र सुनील सहित खोमचे वाले, किराना दुकानदार और निचले तबके के बच्चे शामिल हैं. इसी तरह डीजी अभयानंद के मार्गनिर्देशन में पढ़ाई करनेवाले 344 छात्र-छात्राओं में कुल 102 को सफलता मिली. इनमें गया स्थित मगध सुपर 30 के 9 और पटना स्थित रहमानी-30 के 8 छात्र शामिल है. वहीं, गया के मानपुर की पटवा टोली के 13 छात्रों ने सफलता पायी है.
बिहार पांचवें नंबर पर
जेइइ एडवांस में शामिल होने में बिहार के स्टूडेंट्स की संख्या 5 वें पोजिशन पर है. 2013 में जहां 9 हजार 777 छात्रों को जेइइ एडवांस में शामिल हुए थे. वहीं 2014 में 10 हजार 987 छात्रों ने जेइइ एडवांस में शामिल हुए थे. पिछली बार की तुलना में इस बार बिहार से 1210 अधिक छात्रों ने जेइइ एडवांस शामिल हुए. सफलता के मामले में आंध्र प्रदेश पहले स्थान पर रहा. वहीं दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश और तीसरे स्थान पर राजस्थान था.
9,784 सीटों पर होगा आइआइटी में नामांकन
देश भर के 16 आइआइटी और आइएसएम धनबाद में कुल 9,784 सीटों पर नामांकन किया जायेगा. नामांकन के लिए जेइइ मेन, जेइइ एडवांस और 12वीं के मार्क्स की आवश्यकता पड़ेगी. तीनों के अंक को मिला कर मेरिट लिस्ट निकाला जायेगा. उसके अनुसार ही फिर कैंडिडेंट्स को आइआइटी और कोर्स का एलॉटमेंट किया जायेगा. भले कुल आइआइटी में 9, 784 सीटें उपलब्ध हों, लेकिन कॉमन मेरिट लिस्ट में 19 हजार 416 छात्रों के लिए निकाला गया है. ऐसे में छात्रों के लिए जेइइ मेन और 12वीं के रिजल्ट काफी महत्वपूर्ण हो जायेंगे, क्योंकि अच्छे आइआइटी मिलने के लिए इन दानों के रिजल्ट का काफी महत्व हो जायेगा.
आर्किटेक्चर एप्टीटय़ूड टेस्ट 26 को
आर्किटेक्चर की पढ़ाई करने के इच्छुक विद्यार्थी, जिन्होंने जेइइ एडवांस की परीक्षा पास कर ली है, को आर्किटेक्चर एप्टीटय़ूड टेस्ट देना होगा. यह परीक्षा 26 जून, 2014 को होगी.
हेल्पलाइन नंबर किया जारी
जेइइ एडवांस 2014 के रिजल्ट में किसी तरह की दिक्कतें न हों, इसके लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है. छात्र 011-40360360 नंबर पर कॉल कर जानकारी ले सकते है.
झोंपड़पट्टी में रहनेवाली अल्पना टॉप टेन में
भागलपुर की झोपड़पट्टी में पली-बढ़ी नि:शक्त अल्पना भूषण सिंह ने जेइइ एडवांस में ओबीसी कोटा में देश में 10वां स्थान प्राप्त किया है. उसने मुश्किलों के बीच अपनी राह बनायी.
अल्पना मूल रूप से मदारगंज के रतनपुर की रहनेवाली है और वर्षो से खंजरपुर के समीप जवाहरलाल मेडिकल कॉलेज की जमीन पर बनी झोपड़पट्टी में रह रही थी. फरवरी में कोर्ट के आदेश के बाद झोपड़पट्टी हटा दी गयी थी. फिलहाल वह अपने माता-पिता व भाइयों के साथ किराये के मकान में रह रही है. अल्पना के पिता कुरियर का काम करते हैं.
बायें पांव से नि:शक्त (पोलियो के कारण) और गांव में पले बढ़े मनीष कुमार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. उसने ओबीसी नि:शक्त कोटे में 77वां स्थान हासिल किया है. मनीष कुमार नाथनगर प्रखंड मुख्यालय से लगभग छह किलोमीटर दूर किशनपुर दिग्घी पोखर गांव का रहनेवाला है. उसके पिता गांव में ही छोटे-छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर घर की रोजी-रोटी का इंतजाम करते हैं. अल्पना व मनीष पिछले दो साल से भागलपुर के गुरुकुल शिक्षण संस्थान में इंजीनियरिंग कॉलेजों की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. गुरुकुल के प्रशासनिक निदेशक मनीष कुमार सिंह ने बताया, जब इन बच्चों का नामांकन लिया जा रहा था, उसी समय इनमें कुछ कर गुजर जाने की प्रतिभा झलक रही थी. संस्थान के शिक्षकों ने सभी बच्चों पर खूब मेहनत की.
मणिराम को नि:शक्तता श्रेणी में दूसरा स्थान
प्रबल इच्छा शक्ति से किसी भी तरह की बाधा को पार किया जा सकता हैं. जेइइ एडवांस में फिजिकली हैंडीकैप्ड श्रेणी में दूसरा स्थान हासिल कर मणिराम सिंह ने इसे साबित किया है. उत्तर प्रदेश
के बिजनौर जिले के रहनेवाले मणिराम ने पिछले साल 28 जुलाई, 2013 से सुपर-30 से जुड़ कर अपनी तैयारी शुरू की. बचपन से ही उसने मैकेनिकल इंजीनियर बनने की ठानी और लक्ष्य हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत जारी रखी. घर का खर्च चलाने के लिए मणिराम के पिता आशाराम सिंह बिजनौर में ही मजदूरी करते हैं और मणिराम की मां घर संभालती हैं. 12वीं में पढ़ने रहे अपने छोटे भाई और तीन बड़ी बहनों के लिए अब मणिराम बहुत कुछ करने का सपना देख रहा है.
वह कहता है, अब मुङो बस आइआइटी, बांबे में दाखिला पाने का लक्ष्य है. इसके बाद मुङो पीछे मुड़ कर नहीं देखना. मैकेनिकल ब्रांच मिलने से मेरा सपना पूरा हो जायेगा. मणिराम ने बिजनौर से ही 2013 में 85} अंकों के साथ सीबीएसइ बोर्ड से 12वीं पास किया है, जिसके बाद उसने अपने एक दोस्त और न्यूज में सुपर -30 के बारे में सुनने के बाद एडमिशन के लिए एग्जाम दिया.
पिता को अब भी नहीं हो रहा विश्वास
गुरुवार को जब मणिराम ने पिता को अपना जेइइ एडवांस का आल इंडिया रैंक रैंक बताया, तो वह बस इतना ही बोल पाये कि ‘विश्वास नहीं हो रहा हैं कि आज यह सब कुछ हो रहा हैं.