।। दक्षा वैदकर ।।
हंसना-हंसाना तो हम सभी को चाहिए, लेकिन किस व्यक्ति पर हंस रहे हैं और किस बात पर हंस रहे हैं, इस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है. हम सभी अपने दोस्तों, ऑफिस के साथियों, रिश्तेदारों के साथ हंसी-मजाक करते हैं. इस माहौल में हम भूल जाते हैं कि हम क्या बोल रहे हैं. कुछ लोग अनजाने में गलत बोल जाते हैं, तो कुछ की आदत ही होती है.
यहां बात हो रही है लोगों की शारीरिक बनावट, उनके चेहरे में मीन-मेख निकालने की. कभी हम किसी के बड़े और बाहर निकले हुए दांतों पर जोक बनाते हैं, तो कभी किसी की हाइट पर. किसी की आंखें खराब हैं, तो उसे भेंगा कह देते हैं. किसी को हकलाने की आदत है, तो उसे हकला कह देते हैं. हम कभी भी, किन्हीं भी लोगों के बीच सामनेवाले को कह देते हैं कि ‘पहले अपने दांत तो ठीक करा ले.’ सारे दोस्त इस लाइन को सुन कर खूब हंसते हैं, लेकिन कभी आपने सोचा है कि उस इनसान पर क्या गुजर रही होगी? नहीं सोचा होगा. अगर आप खुद को सामनेवाले की जगह रख कर सोचेंगे, तो आप समझ पायेंगे कि शरीर की किसी कमी को जब ठीक नहीं किया जा सकता और लोग उसका मजाक उड़ाते हैं, तो कैसा महसूस होता है.
देश-दुनिया के तमाम सव्रे आप देख लें. इनमें से कई आत्महत्याएं लोग केवल इसलिए करते हैं, क्योंकि समाज के कुछ लोगों ने उनका मजाक उड़ाया. उनकी खिल्ली उड़ायी. कुछ लोग तो इन बातों को दिल से नहीं लगाते, लेकिन कुछ इससे इतने डिप्रेशन में चले जाते हैं कि गलत कदम उठा लेते हैं. क्या आप इस चीज के लिए तैयार हैं कि आपका ऑफिस का वह साथी डिप्रेशन में जाकर गलत कदम उठा ले? अगर उसने ऐसा किया, तो क्या आप खुद को माफ कर सकेंगे? अगर आप सच में एक संवेदनशील इनसान हैं, तो निश्चित ही आपका जवाब ना होगा. दोस्तों, इस आदत को बिल्कुल भी हल्के में न लें. हो सकता है कि कभी आपके साथ भी कोई हादसा हो जाये और आपके शरीर में कोई खोट आ जाये और लोग आपका मजाक उड़ाने लगें. आखिर कल किसने देखा है.
बात पते की..
– आप सामनेवाले की केवल ऐसी चीजों पर ही कमेंट कर सकते हैं, जो वह इनसान कमेंट सुनने के बाद बदल सकता है. उदाहरण के लिए आदतें.
– ऐसी कमियों का मजाक न उड़ायें, जो सामनेवाला व्यक्ति नहीं बदल सकता. ऐसा मजाक करना यानी ईश्वर की बनायी चीज में कमी निकालना.