रांची: झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा आयोजित पांचवीं सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण व कट ऑफ मार्क्स के मुद्दे पर उठे विवाद को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को अपने आवास पर अधिकारियों की बैठक बुलायी. बैठक में मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती, कार्मिक सचिव संतोष सतपथी, सीएम के प्रधान सचिव सुखदेव सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे. इसे लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी गुरुवार को सीएम से मिले थे.
मालूम हो कि पांचवीं सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट में बीसी टू व सामान्य केटेगरी का कट-ऑफ मार्क्स एक हो जाने पर उम्मीदवारों ने आपत्ति जतायी थी. आयोग ने एक पद पर 13 गुणा के आधार पर उम्मीदवारों का मुख्य परीक्षा के लिए चयन किया. आयोग के अनुसार सुप्रीम कोर्ट व यूपीएसससी की गाइडलाइन के आधार पर मेरिट लिस्ट बनायी गयी. जबकि उम्मीदवारों का कहना है कि आयोग ने आरक्षण पद्धति को नहीं माना. उम्मीदवारों का कहना है कि झारखंड सरकार की आरक्षण नीति के तहत अगर कोई छात्र सामान्य कट ऑफ मार्क्स के बराबर या अधिक अंक लाता है, तो वो सामान्य केटोगरी में चला जाता है. एसटी/एससी/ओबीसी केटोगरी में नहीं रहता है. लेकिन आयोग ने सामान्य के बराबर या अधिक अंक लाने पर भी उन्हें केटोगरी में रखा है, जो गलत है. जबकि आयोग द्वारा बालोजी व आंध्र प्रदेश और छत्तर सिंह व राजस्थान मामले के आधार पर लागू नियम के तहत रिजल्ट जारी किया गया है. जबकि हकीकत है कि बालोजी केस में एक ही सामान्य कट ऑफ मार्क्स होगा तथा रिजल्ट कुल सीटों का 50 गुणा जारी किया जायेगा.
इसी प्रकार छत्तर सिंह केस में कहा गया है कि रिजल्ट 15 गुणा होगा लेकिन सामान्य वर्ग और पिछड़ा वर्ग का एक समान कट ऑफ मार्क्स होगा. जेपीएससी ने इसे भी लागू नहीं किया है. बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस मामले में और गहन अध्ययन व न्यायालय के आदेश से वस्तुस्थिति से अवगत कराने का निर्देश दिया है.