रियो दि जिनेरियो : ब्राजील में अगले चार सप्ताह होने वाले विश्व कप फुटबॉल में मैच के दौरान पहली बार गोल लाइन तकनीक का इस्तेमाल होने जा रहा है और इसे बनाने वालों का दावा है कि इसे हैक नहीं किया जा सकता.
फ्रेंक लैंपार्ड जैसे खिलाड़ी इससे जरुर खुश होंगे जिनका जर्मनी के खिलाफ 2010 विश्व कप के दूसरे दौर में गोल अमान्य करार दिया गया था जबकि गेंद लाइन के पार गई थी. वेबसाइट के अनुसार तकनीक बनाने वाली कंपनी गोलकंट्रोल ने रियो के माराकाना स्टेडियम में तकनीक का परीक्षण अप्रैल में किया था.
इसी मैदान पर फाइनल मैच खेला जाना है. इसके लिये सभी 12 विश्व कप स्टेडियमों में हर गोलमुख पर 14 कैमरे लगे होंगे. कैमरे से प्रति सेकंड 500 तस्वीरें रिकार्ड होंगी और उन्हें एक कम्प्यूटर पर डाला जायेगा. गेंद के लाइन क्रास करते ही रैफरी गोल का फ्लैश चला देगा.इस प्रणाली के 2400 टेस्ट हो चुके हैं और कोई गलती नहीं निकली. जर्मन कंपनी गोलकंट्रोल के प्रमुख डर्क बी ने कहा, यह सौ फीसदी सटीक है और इसे हैक नहीं किया जा सकता.