धनबाद: साढ़े 26 लाख की आबादी वाले धनबाद जिले में स्वास्थ्य सेवा लचर है. एक अनुमान के अनुसार प्रतिमाह एक हजार मरीजों को यहां के सरकारी व निजी स्वास्थ्य संस्थानों की ओर दूसरी जगह रेफर किया जाता है.
इससे मरीजों को परेशानी तो होती ही है, आर्थिक बोझ भी बढ़ता है. पूरे जिले में एक भी ऐसा सरकारी या निजी स्वास्थ्य संस्थान नहीं है, जहां मरीजों की गंभीर बीमारियों व इमरजेंसी में पर्याप्त चिकित्सकीय सेवा मिले.
कहने को सेंट्रल अस्पताल को सुपर स्पेशियलिटी कहा जाता है, लेकिन प्रति माह लगभग ढाई सौ मरीजों को यहां से दुर्गापुर या दूसरी जगहों पर रेफर किया जाता है. कई मरीजों को तो इमरजेंसी से ही लौटा दिया जाता है. यही हाल उतरी छोटानागपुर प्रमंडल का एक मात्र मेडिकल कॉलेज अस्पताल पीएमसीएच का है. सरकार ने पीएमसीएच को सुपर स्पेसिअलिटी अस्पताल बनाने का दावा किया था. लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. यहां से लगभग तीन सौ मरीजों को हर माह रेफर किया जाता है. जिले में करीब तीन सौ नर्सिग होम, पॉली क्लिनिक, निजी अस्पताल व अन्य संस्थान चार सौ मरीजों को रेफर करते हैं. जानकारों के अनुसार सुपर स्पेसिअलिटी अस्पताल के लिए कोई विशेष ऑथोराइजेशन की जरूरत नहीं होती है. सामान्यत: उस अस्पताल का रजिस्ट्रेशन व एमओयू होना चाहिए, ब्लड बैंक के लिए लाइसेंस होना चाहिए. हालांकि कई अस्पताल आइएसओ 9001 से सर्टिफिकेट लेकर अपने को श्रेष्ठ घोषित करते हैं. इसके लिए किसी की मान्यता की जरूरत नहीं पड़ती है. कई अस्पताल अपने को सुपर स्पेसिअलिटी अस्पताल घोषित करते हैं, लेकिन उनके पास संसाधन नहीं होते.
सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल क्या है
सुपर स्पेसिअलिटी अस्पताल का मतलब गंभीर बीमारी या किसी हादसे से प्रभावित मरीज को तत्काल सेवा प्रदान करना है. ऐसे अस्पताल में इलाज के लिए जो भी उपकरण की जरूरत है, वह सभी एक छत के नीचे उपलब्ध रहते हैं. हर रोग के लिए अलग-अलग विशेषज्ञ होते हैं. जटिल ऑपरेशन या केस अस्पताल में किये जाते हैं, इसके लिए जरूरत पड़ने पर विदेशों से भी चिकित्सक बुलाये जाते हैं. यदि किसी को हार्ट अटैक आ जाये, तो एक घंटे की गोल्डन ऑवर में ही उसका उचित इलाज किया जा सकता है. इसी तरह से किसी को डायलिसिस की जरूरत पड़े तो उसे तत्काल सेवा मिल सके.