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चूक प्रशासनिक, तो सजा सामंती क्यों!

पलामू के लेस्लीगंज में मंत्री के जनता दरबार में विधायक को नहीं बुलाने पर बीडीओ को विधायक से पैर छूकर सार्वजनिक माफी मांगनी पड़ी. ऐसा मंत्रीजी के कहने पर किया. हालांकि मंत्री का कहना है कि उन्होंने माफी मांगने जरूर कहा, लेकिन पैर छूने के लिए नहीं. सवाल पैदा होता है कि क्या यह उचित […]

पलामू के लेस्लीगंज में मंत्री के जनता दरबार में विधायक को नहीं बुलाने पर बीडीओ को विधायक से पैर छूकर सार्वजनिक माफी मांगनी पड़ी. ऐसा मंत्रीजी के कहने पर किया. हालांकि मंत्री का कहना है कि उन्होंने माफी मांगने जरूर कहा, लेकिन पैर छूने के लिए नहीं. सवाल पैदा होता है कि क्या यह उचित था? किसी भी लोकतांत्रिक प्रणाली में माफी मांगने के ऐसे तरीकों को जायज नहीं ठहराया जा सकता.

राजनेता और नौकरशाही के बीच कई बार टकराव होता रहा है. ये टकराव कभी काम को लेकर, तो कभी अहं को लेकर होता है. पर, इन सबके बीच जरूरी है कि एक-दूसरे का सम्मान और प्रतिष्ठा बची रहे. दोनों में से कोई भी दूसरे पर हावी होना चाहेगा, तो उसका दोहरा नुकसान है. दोनों के बीच समन्वय की कमी तो होगी ही, सीधा नुकसान जनता के कामों पर पड़ेगा. विधायिका व कार्यपालिका के बीच बेहतर तालमेल जरूरी है. अब जहां तक लेस्लीगंज के जनता दरबार का सवाल है, विधायक को इसकी जानकारी नहीं देना प्रशासनिक चूक हो सकती है, पर इस चूक की एवज में एक अधिकारी को विधायक का पैर छूना पड़े, तो इसे सामंती सोच ही कहेंगे.

चूक हुई थी, तो मंत्री इसकी जांच के आदेश दे सकते थे. दोषी मिलने पर जिम्मेदार अफसर पर नियम सम्मत कार्रवाई की जा सकती थी. जनता दरबार किसी की गलती पर खाप पंचायत की तरह तुरंत फैसला सुनाने के लिए नहीं होते. हाल के दिनों में अपनी मांगे मंगवाने के लिए अफसरों को बंधक बनाने, उनको घेरने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. अपने काम के लिए दबाव बनाने के अन्य सभ्य और सटीक तरीके भी हो सकते हैं. किसी सिस्टम के नहीं काम करने की जिम्मेदारी जितनी नौकरशाही की है, उतनी ही विधायिका की.

दोनों इस जिम्मेदारी से ना भाग सकते हैं, ना मुंह मोड़ सकते हैं. इसलिए बेहतर यह हो कि दोनों में उचित समन्वय बना रहे, अहं का टकराव नहीं हो, कार्यो की प्राथमिकता को दोनों ही संस्थाएं बेहतर तरीके से समङों और उसके अनुसार काम करें. एक-दूसरे को नीचा दिखाने की प्रवत्ति ना हो. तभी हम एक बेहतर सिस्टम के बारे में सोच सकते हैं, और आमलोगों को जिनके लिए यह पूरा सिस्टम गढ़ा गया है, पूरी सुविधाएं और योजनाओं का लाभ मिल सके.

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