विनोद महतो
लोहरदगा : क्षेत्र के विकास के लिए कई प्रकार की योजना चलायी जा रही है, लेकिन विभागीय लापरवाही एवं पदाधिकारियों की मिलीभगत के कारण योजना बेकार साबित हो रही है. अभियंताओं की उदासीनता एवं उनकी घोर लापरवाही के कारण सरकारी राशि का दुरूपयोग होता है. इससे स्थानीय लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है.
लोगों को लाभ के बदले परेशानी मिलती है. ऐसा ही मामला लघु सिंचाई विभाग द्वारा किस्को प्रखंड के होन्दगा नदी में श्रृंखलाबद्ध चेकडैम निर्माण की है. होन्दगा नदी में श्रृंखलाबद्ध चेकडैम बना कर लोगों को सिंचाई सुविधा मुहैया कराने हेतु वित्तीय वर्ष 2010-11 में एआइबीपी योजनार्न्तगत करोड़ों रुपये की लागत से चेकडैम निर्माण कार्य शुरू किया गया था. इसक ा निर्माण पूर्ण करने हेतु संवेदक को एक वर्ष का समय दिया गया था. संवेदक एमएस प्रिंस कन्सट्रक्शन द्वारा काम शुरू किया गया. काम जैसे तैसे कुछ दिनों तक चला. इसके बाद निर्माण कार्य बंद कर दिया गया.
राशि की वापसी के लिए कार्रवाई शुरू : काम बंद होने के बाद विभाग द्वारा शामिल अभियंताओं से योजना के विरूद्ध की गयी निकासी एवं मापीपुस्त में दर्ज राशि की वापसी हेतु कनीय अभियंता एवं सहायक अभियंता पर दबाव बनाया जा रहा है. सूत्र बताते हैं कि कार्य के कनीय अभियंता केदार प्रसाद राय, सच्चिादानंद सिंह, मिथलेश कुमार सिंह एवं सहायक अभियंता मकर चौधरी से राशि वापस लेने की कार्रवाई ़शुरू कर दी गयी है. अब प्रश्न यह उठता है कि योजना शुरू करने के पूर्व क्या विभागीय जेइ, एइ एवं इइ योजना स्थल का निरीक्षण तक नहीं करते. विभाग द्वारा इतनी बड़ी राशि निकालने के बाद विभाग की नींद खुली. पैसे की बंदरबांट के लिए जिम्मेवार क ौन है. क्या पैसे की वापसी के बाद ग्रामीणों की अपेक्षा पूरी हो जायेगी, लोगों को सिंचाई सुविधा मिल पायेगी.