पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि बिहार की जनता ने एनडीए के पक्ष में जनादेश जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए नहीं दिया था. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के कारण बिहार राजनीतिक अस्थिरता का शिकार हुआ है. अब बिहार की चर्चा नकारात्मक बातों के लिए हो रही है.
112010 में बिहार की जनता ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में भाजपा-जदयू गंठबंधन को सरकार चलाने का जनादेश दिया था. महीने से सूबे का विकास ठप है. विधानसभा में तीन चौथाई बहुमत के साथ जनता ने विकास के लिए जो राजनीतिक स्थिरता दी थी. उसे ढ़ाई साल में ही नीतीश कुमार ने गंठबंधन तोड़ कर अस्थिरता में बदल दी. पीएम बनने की महत्वाकांक्षा के कारण जून,2013 में गंठबंधन तोड़ कर जनादेश का उन्होंने अपमान किया. हाल के लोकसभा चुनाव में जनता ने जदयू को झटका दे कर सबक सिखाया. इस पर नीतीश कुमार ने नैतिकता और सिद्धांतों की दुहाई दे कर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया. उन्होंने जीतन राम मांझी को सरकार का नेतृत्व सौंपा, जबकि जनादेश किसी और व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाने के लिए नहीं मिला था. यह जनादेश का दूसरा अपमान है.
लोगों ने भाजपा-जदयू का साझा चेहरा देख कर उसमें जो विश्वास प्रकट किया था. उसे पहले ही तोड़ दिया गया. उन्होंने कहा है कि जिस व्यक्ति को जनादेश नहीं है. उसे जुगाड़ से मुख्यमंत्री बनाया गया है. इसलिए प्रशासन पर से सरकार की पकड़ समाप्त हो गयी है. विकास ठप है. कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब है और निवेशक बिहार आने से कतरा रहे हैं. सबको पता है कि अल्पमत सरकार का बहुमत साबित करने के लिए नीतीश कुमार ने कैसे जोड़-तोड़ किया. बिहार को बरबाद करने वाले लालू और कांग्रेस से भी उन्होंने समर्थन ले लिया. 2005 में लालू प्रसाद और कांग्रेस को उसके कुशासन के लिए जनता ने खारिज किया था. अब मांझी सरकार के लिए इन्हीं लोगों का समर्थन लेने से जनता के बीच गलत संदेश गया है.