पटना: लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद अब आयकर विभाग चुनाव आयोग के निर्देश पर चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों द्वारा घोषित की गयी संपत्ति को खंगालने में जुट गया है. आयकर विभाग प्रत्याशियों द्वारा नामांकन के समय चुनाव आयोग को शपथ पत्र में दिये गये संपत्ति का ब्योरे का मिलान उनके पूर्व के आयकर रिटर्न से कर रहा है. वह कुछ प्रत्याशियों और बड़े राजनेताओं की संपत्ति में पिछले पांच साल के अंदर हुई गुणात्मक वृद्धि का रहस्य भी सुलझाने की कोशिश में है.
आयकर विभाग के निदेशक (अन्वेषण) कुमार संजय ने बताया कि हमने कई प्रत्याशियों की संपत्ति में पिछले पांच वर्षो के दौरान गुणात्मक वृद्धि को अपने संज्ञान में लिया है. उनके पैन कार्ड के जरिये पूर्व में भरे गये आयकर रिटर्न से इसका मिलान किया जायेगा. अगर इसमें किसी भी प्रकार की कोई त्रुटि पायी जाती है, तो ऐसे लोगों को आयकर विभाग द्वारा नोटिस जारी किया जायेगा और आयकर के कानून के तहत उनसे निबटा जायेगा. इसमें चुनाव में जीत हासिल करनेवाले प्रत्याशी ही नहीं, बल्कि वैसे उम्मीदवार भी जांच के घेरे में आयेंगे, जो दूसरे, तीसरे या चौथे नंबर पर रहे हैं. कुमार संजय ने बताया कि प्रत्याशियों की घोषित संपत्ति के मिलान के लिए विभाग कुछ अन्य स्नेतों का भी इस्तेमाल कर रहा है.
खर्चो के स्नेत खंगालने की कवायद : आयकर विभाग के निदेशक (अन्वेषण) ने बताया कि बिहार-झारखंड के सभी राजनीतिक दलों ने अपने चुनावी खर्चो का विवरण आयकर विभाग को सौंप दिया है. विभाग अब उन खर्चो के स्नेत व अन्य तरह की जानकारियां हासिल करने की कवायद में है. कुमार संजय ने बताया कि आयकर विभाग को इस जांच की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध करानी है. आयकर विभाग चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और राजनेताओं को हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध करानेवाली कंपनियों को हुए भुगतान की भी जांच करेगा.
हालांकि इस संबंध में विभिन्न राजनीतिक दलों ने इन कंपनियों को किये गये भुगतान के संबंध में आयकर विभाग को पूरी जानकारी उपलब्ध करा दी है, लेकिन विभाग अब इन कंपनियों को हुए भुगतान और उससे हासिल होनेवाली आय की भी जांच करेगा.