वॉशिंगटन : अमेरिका ने कहा है कि वह अपना कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए कदम उठाने का इच्छुक है और वह यह भी चाहता है कि भारत और चीन जैसे देश जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए जिम्मेदारी लें. एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कल कहा कोई भी सफल अंतरराष्ट्रीय जलवायु समझौता कार्बन उत्सर्जन घटाने की प्रतिबद्धता के संदर्भ में अमेरिका सहित कई देशों पर निर्भर करता है.
उन्होंने कहा कि देशों की घरेलू कार्रवाइयों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का हिस्सा होना चाहिए. उन्होंने कहा हर किसी को कदम उठाने होंगे. बेशक, हम कहते हैं कि हम अपना कार्बन उत्सर्जन घटाने के इच्छुक हैं लेकिन चीन और भारत जैसे देशों को भी कदम उठाने की जरुरत है जो उत्सर्जन करने वाले देशों के तौर पर उभर रहे हैं. अधिकारी ने कहा कि अमेरिका की जलवायु कार्य योजना का विकास जैसे कदम उन प्रतिबद्धताओं को पूरा करेंगे जो ईंधन दक्षता मानकों या कोयला आधारित उर्जा संयंत्रों के बारे में कोपेनहेगन में जताई गई थीं.
अधिकारी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती का असर विभिन्न क्षेत्रों में पड रहा है. इनमें से एक राष्ट्रीय सुरक्षा है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि इससे अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा होने जा रहा है. उन्होंने कहा, हम संघर्ष या जलवायु परिवर्तन से जुडी स्थितियों के समुचित हल का आह्वान करने जा रहे हैं. आप एक सीमा रेखा नहीं खींच सकते लेकिन यह बात साफ है कि प्रतिकूल मौसम से जुडे घटनाक्रम सामने आ रहे हैं. अधिकारी ने कहा कि जब दक्षिण पूर्वी एशिया में तूफान आया, जब सुनामी आई तो अक्सर अमेरिकी सेना को आपदा के दौरान सहायता के लिए बुलाया गया.
उन्होंने कहा, जैसा कि आज राष्ट्रपति ने संदर्भ दिया, जब मूलभूत संसाधनों जैसे भोजन और पानी को लेकर संघर्ष होता है या शरणार्थी आते हैं तो इसका असर निश्चित रुप से राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ सकता है. इस प्रकार हम मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन और हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के बीच संबंध है.