धनबाद: शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे सरकारी प्रारंभिक स्कूलों में प्रधानाध्यापकों (एचएम) के भी 221 पद रिक्त हैं. जिले में प्रधानाध्यापकों के कुल 237 पद स्वीकृत हैं, जिनमें केवल 16 पद ही कार्यरत हैं. शिक्षकों की स्थिति इससे बुरी है.
मैट्रिक प्रशिक्षित कुल 4608 पद स्वीकृत हैं, जिनमें केवल 2058 कार्यरत और 2550 रिक्त हैं. वहीं बीए प्रशिक्षित कुल 50 स्वीकृत पदों में एक भी कार्यरत नहीं हैं, सभी के सभी रिक्त हैं. जबकि बीएससी प्रशिक्षित कुल 83 पदों में केवल 32 पदों पर ही शिक्षक कार्यरत हैं और 51 पद रिक्त हैं. हालांकि इंटर प्रशिक्षित सहायक एवं उर्दू सहायक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है. इनमें 993 सहायक एवं 224 उर्दू शिक्षकों के पद शामिल हैं. वहीं 224 उर्दू शिक्षक पदों को विभिन्न विद्यालयों में आवश्यकता अनुसार बांटा गया है.
आज ही आया था परिणाम : एक साल पहले 28 मई को ही शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) का परिणाम घोषित हुआ था. इसके बाद से सफल अभ्यर्थी बहाली प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद लगाये बैठे हैं. नियुक्ति के लिए जिला कार्यालय को अभ्यर्थियों के लगभग 11 हजार 372 आवेदन मिले थे.
पढ़ाई पर पड़ता है असर : जिले में इंटर प्रशिक्षित सहायक एवं उर्दू सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के बाद भी शिक्षकों के काफी पद रिक्त रह जायेंगे. स्कूलों में शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापकों की कमी से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है. यही वजह है कि जिले के शिक्षा के स्तर का ग्राफ गिरता जा रहा है. असर की वर्ष 2013 के अपने सर्वेक्षण की रिपोर्ट बताती है कि जिले के 1.3 फीसदी बच्चे स्कूल नहीं जाते, या फिर बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी. पहली एवं दूसरी कक्षा के 44.2 फीसदी बच्चे अक्षर, शब्द या उससे अधिक नहीं पढ़ सकते. पहली एवं दूसरी कक्षा के ही बच्चे 45.3 फीसदी बच्चे अंक या उससे अधिक नहीं पहचान सकते.