नयी दिल्ली : नये वित्त एवं कार्पोरेट मामलों के मंत्री अरण जेटली ने मुद्रास्फीति पर नियंत्रण, अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे को बहाल करने और राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखते हुए वृद्धि को प्रोत्साहित करने का आज वायदा किया.
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है और चुनौतियां बेहद स्पष्ट हैं. हमें वृद्धि की रफ्तार को वापस लीक पर लाना है, मुद्रास्फीति को काबू करना है और निश्चित तौर पर राजकोषीय पुनर्गठन पर ध्यान देना है. जाने-माने वकील और भाजपा के वरिष्ठ नेता वित्त मंत्रालय का पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि वह रक्षा मंत्रालय का जिम्मा सिर्फ अतिरिक्त प्रभार के तौर पर संभालेंगे.
जेटली ने कहा अस्थायी तौर पर मैं रक्षा मंत्रालय का भी जिम्मा संभालूंगा लेकिन यह मंत्रिमंडल के विस्तार होने तक मात्र अतिरिक्त प्रभार होगा. वित्त मंत्रालय के तौर पर अपनी प्राथमिकताओं का हवाला देते हुए जेटली ने कहा मुझे पता है कि मैं बेहद चुनौतीपूर्ण समय में कार्यभार संभाल रहा हूं जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था में भरोसा मजबूत करने की जरुरत है.
उन्होंने कहा हमारी सरकार को जो जनादेश मिला है उसमें आशा अंतर्निहित है … राजनैतिक बदलाव अपने आपमें वैश्विक समुदाय और घरेलू निवेशक दोनों के लिए मजबूत संदेश होता है. मुझे लगता है कि अगले दो महीने निर्णय लेने की प्रक्रिया को तेज कर हम इसे आगे बढ़ा सकेंगे. मंत्री ने कहा कि नई सरकार की पूरी नीति अगले कुछ दिनों में जाहिर की जाएगी.
उन्होंने कहा नयी सरकार की पूरी नीति के लिए आपको कुछ और दिन इंतजार करना होगा. यह पूछने पर कि क्या वह वृद्धि दर की कीमत पर मुद्रास्फीति पर ध्यान देंगे, जेटली ने कहा संतुलन बिठाने का काम करना होगा. भारत ने कुछ साल तक 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज थी लेकिन 2008 की वैश्विक वित्तीय मंदी के बाद इसमें नरमी आयी. आर्थिक वृद्धि दर 2012-13 में दशक भर के न्यूनतम स्तर 4.5 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर पर आ गईं. 2013-14 में यह बढ़कर 4.9 प्रतिशत हो गई. चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.