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बांध की स्थिति जजर्र

औरंगाबाद (ग्रामीण) : रफीगंज प्रखंड के कोना गांव स्थित वर्षो पहले बने जमींदारी बांध (चहका) अब ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच चुका है. कभी भी वह टूट कर बिखर सकता है. इसकी मरम्मती के लिए ग्रामीणों ने कई दफा स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर सरकार के मंत्रियों व अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया. लेकिन, जमींदारी […]

औरंगाबाद (ग्रामीण) : रफीगंज प्रखंड के कोना गांव स्थित वर्षो पहले बने जमींदारी बांध (चहका) अब ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच चुका है. कभी भी वह टूट कर बिखर सकता है. इसकी मरम्मती के लिए ग्रामीणों ने कई दफा स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर सरकार के मंत्रियों व अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया. लेकिन, जमींदारी बांध पर अब तक किसी का ध्यान नहीं गया.

आज स्थिति यह है कि अगर यह टूट कर बिखर गया तो किसानों के खेतों तक पानी पहुंचना असंभव हो जायेगा. ग्रामीण मनोज सिंह, सुधीर सिंह, बबलू सिंह, गुड्डू सिंह व संजय कुमार ने बताया कि टिकारी राज के राजा गोपाल शरण सिंह ने जमींदारी बांध का निर्माण 40 वर्ष पूर्व कराया था. इसका उद्देश्य था कि यहां पानी का ठहराव हो और किसानों के खेतों तक पानी पहुंचे. कई वर्ष तक बांध अपने उद्देश्यों में सफल भी रहा.

आज कई जगह पर बांध में दरार आ गया है. कुछ जगहों से यह टूट कर नदी में गिरने भी लगा है. अगर जल्द इसकी मरम्मती नहीं की गयी तो इतिहास की बात बन कर रह जायेगा. यह बांध मदार नदी में बना है. इस नदी से भदवा व आसपास के गांवों में सिंचाई की जाती है.

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