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काला कारनामाः अभियंता तय करते हैं नक्शे की किस्मत

रांचीः रांची नगर निगम में नक्शा पास कराना आसान नहीं है. छोटे मकान का नक्शा हो या बहुमंजिली इमारतों का, जब तक निगम अधिकारियों के जेब गरम नहीं होती, निगम में नक्शे की फाइल एक टेबल से दूसरे टेबल पर नहीं जाती. निगम के इन अभियंताओं के काले कारनामों की जानकारी सरकार के बड़े अधिकारियों […]

रांचीः रांची नगर निगम में नक्शा पास कराना आसान नहीं है. छोटे मकान का नक्शा हो या बहुमंजिली इमारतों का, जब तक निगम अधिकारियों के जेब गरम नहीं होती, निगम में नक्शे की फाइल एक टेबल से दूसरे टेबल पर नहीं जाती. निगम के इन अभियंताओं के काले कारनामों की जानकारी सरकार के बड़े अधिकारियों को भी है, परंतु कोई भी इस मामले में कठोर निर्णय लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. वजह इन अधिकारियों की पैरवी सरकार के आला नेताओं तक है.

अभियंता करते हैं वसूली

नक्शा पास करने के लिए अभियंता ही यह तय करते हैं कि कितने की वसूली की जाये. कहने को तो ये अभियंता साइट वेरिफिकेशन के नाम पर आते हैं, लेकिन उसी समय भवन निर्माता को राशि बता दी जाती है. अन्यथा नक्शा जमा करके निगम में दौड़ते रहना पड़ता है.

एक करोड़ से अधिक का वारा न्यारा : निगम में नक्शा पास कराने की इस प्रक्रिया में हर माह एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि वसूली जाती है. यह राशि भवन के क्षेत्रफल के हिसाब से तय होती है. छोटे मकान के लिए पांच-सात हजार में काम हो जाता है लेकिन बहुमंजिली इमारतों के लिए दो लाख से लेकर 18 लाख तक चढ़ावा देना पड़ता है. पर इस बात की गारंटी नहीं होती कि तय समय पर नक्शा मिल जायेगा.

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