-देश में मोदी की लहर के बावजूद नहीं जीत सके डॉ दिलीप
किशनगंजः लोकसभा चुनाव में देश में मोदी की लहर थी, लेकिन किशनगंज उनका जादू नहीं नहीं चल पाया. लोकसभा चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद पूरे जिले के चौक चौराहों पर जिले वासी इसी चर्चा को ले शनिवार को मशगुल दिखे. कोई इसे इतिहास की पुनर्रावृत्ति बता रहा था, तो कोई मतों का ध्रुवीकरण .
हालांकि, सच्चई यह है कि मतों का ध्रुवीकरण श्री कासमी की जीत में एक महत्वपूर्ण फैक्टर रहा. हालांकि स्थानीय लोगों का यह भी मानना है कि जिस दिन जदयू प्रत्याशी अख्तरूल ईमान चुनावी मैदान से भाग खड़े हुए थे उसी दिन श्री कासमी की जीत पक्की हो गयी थी. वहीं भाजपा प्रत्याशी डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने भी लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी जीत पक्की करने के लिए कोई कोर कसर बांकी नहीं छोड़ी थी. मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए उन्होंने अपने तरकस के सारे तीरों का इस्तेमाल कर डाला था, लेकिन अल्पसंख्यक मतों की गोलबंदी को वह भेद नहीं सके.
श्री कासमी ने पहले ही कई लोकसभा चुनाव के दौरान किशनगंज सीट से अपना भाग्य आजमाते रहे, लेकिन उन्हें 2009 में परिसीमन के बाद जाैकीहाट के अररिया लोकसभा क्षेत्र में चले जाने से व वायसी के पूर्णिया से कट कर किशनगंज में जुट जाने के बाद सुरजापूरी बिरादरी के मुसलमानों की संख्या में आयी वृद्धि से लाभ हुआ. वहीं अब यह भी देखना चिलचस्प होगा कि भाजपा के पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली की गद्दी पर काबिज होने के बाद स्थानीय सांसद विपक्ष में रहकर क्षेत्र की समस्याओं का कितना हल कर पाते हैं.