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पारा पहुंचा 43

विमलनाथ झा, दरभंगाः आधुनिकता की चकाचौंध में मौसम को अनुकूल रखनेवाले सभी संसाधनों का जिस गति से क्षरण हो रहा है, उसका असर मौसम की प्रतिकूलता के रूप में दिखने लगा है. शनिवार को गर्मी ने इस सीजन के सभी रिकार्ड को तोड़ते हुए पारा 43 डिग्री पर जा पहुंचा. तेज धूप व पछिया हवा […]

विमलनाथ झा, दरभंगाः आधुनिकता की चकाचौंध में मौसम को अनुकूल रखनेवाले सभी संसाधनों का जिस गति से क्षरण हो रहा है, उसका असर मौसम की प्रतिकूलता के रूप में दिखने लगा है. शनिवार को गर्मी ने इस सीजन के सभी रिकार्ड को तोड़ते हुए पारा 43 डिग्री पर जा पहुंचा. तेज धूप व पछिया हवा के कारण सुबह 9 बजे से ही पीसीसी सड़कें भी गर्म हो गयी थी. शनिवार होने के कारण आज अधिकांश स्कूलों में 10.30 बजे ही छुट्टी हो गयी. इसके बावजूद घर लौट रहे बच्चे पसीना से लथपथ थे. दिन के 11 बजे से दरभंगा टावर सहित बस स्टैंड एवं प्रमुख सड़कों पर सन्नाटा पसरा था.

मुहल्लों से गायब हुए वृक्ष

बढ़ते तापमान को संतुलित रखने में वृक्षों की अहम भूमिका है. यही वजह है कि तापमान के संतुलन को बरकरार रखने के लिये सरकार लगातार वृक्षारोपण अभियान चलाती है. लेकिन वृक्षों के प्रति लोगों के मन से दिनानुदिन घटते स्नेह के कारण शहर के विश्वविद्यालय परिसर एवं डाक प्रशिक्षण केंद्र को छोड़ दिया जाये, तो कहीं भी हरे-भरे पेड़ नहीं दिखते.

वर्षो से समाहरणालय परिसर में जो हरे-भरे पेड़ थे, जहां दूर-दराज से आये लोग कुछ बैठते थे, वे सभी पेड़ सौंदर्यीकरण की भेंट चढ़ गये. जानकारी के अनुसार शहर की तीन प्रमुख सड़कों में वीआइपी सड़क से अल्लपट्टी के निकट ईमली का इकलौता पेड़ ही राहगीरों के रूकने का ठिकाना रह गया है. पूर्व में यहां सड़क के दोनों ओर ईमली व गोल्डमोहर के छायेदार वृक्ष थे जो राहगीरों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को सुकून देते थे.

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