पटना : आये दिन बाल अधिकार संरक्षण आयोग में स्कूल की लड़कियां पहुंच रही हैं. हालांकि उनकी शिकायतें तो आयोग की ओर से सुनी जाती हैं, लेकिन उसका सोल्यूशन कुछ नहीं हो पाता है. इसके पीछे मुख्य कारण है कि लड़कियां आयोग से यह शिकायत बाहर नहीं करने की आग्रह करती हैं.
लड़कियों को इस बात का डर रहता है कि अगर यह बात उस लड़के तक पहुंच जायेगी, तो फिर उसे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
कहीं नहीं बनी है सेक्युअल हैरेसमेंट कमेटी : सीबीएसइ और आइसीएसइ बोर्ड की ओर से हर स्कूल में सेक्सुअल हैरेसमेंट कमेटी बनाने की बात थी, लेकिन पटना में एक भी स्कूल में यह व्यवस्था नहीं है. सीबीएसइ से मिली जानकारी के अनुसार पटना जोन के किसी भी स्कूल में ऐसी कोई कमेटी नहीं है. इस कारण तमाम छात्रओं को स्कूल के बाहर जाना पड़ रहा है. इसके बाद भी निदान नहीं हो पा रहा है.
टीचर्स के खिलाफ भी हो सकता है मामला दर्ज : इस पांच सदस्यीय कमेटी में प्रिंसिपल, मनोचिकित्सक व स्कूल एसोसिएशन के एक मेंबर के अलावा साइकोलॉजी व सोशियोलॉजी की दो टीचर रहेंगे. इसके गठन के पीछे बोर्ड का मकसद हर तरह के हैरेसमेंट के खिलाफ मामला दर्ज करवाना था, जो छात्र इसमें मामला दर्ज करवायेगी, उसकी जानकारी कमेटी के अलावा किसी और को नहीं होगी. इसमें छात्र के अलावा टीचर्स के खिलाफ भी मामला दर्ज हो सकता है. आइसीएसइ बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार एकेडमिक, आर्थिक और शारीरिक किसी भी तरह की परेशानी को इस कमेटी के पास रखा जा सकता है.
तो स्कूल की जा सकती है ग्रेडिंग : हाल में सीबीएसइ ने ग्रेडिंग व्यवस्था की शुरुआत की है. ग्रेडिंग के लिए सीबीएसइ के पहले नंबर पर सेक्सुअल हैरेसमेंट कमेटी शुरू बनाने को कहा था. सीबीएसइ की जांच में जिस भी स्कूल में यह कमेटी गठित नहीं हुई होगी, उसकी ग्रेडिंग पर इसका असर पड़ेगा.