फैजाबाद : राममंदिर आंदोलन की लहर पर सवार होकर कभी सत्ताशीर्ष पर पहुंची भाजपा ने अपने चुनाव घोषणापत्र में मंदिर निर्माण के लिये संवैधानिक रास्ता निकालने का वादा भले ही जताया हो. लेकिन रामनगरी अयोध्या को खुद में समेटे फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में मंदिर अब कोई मुद्दा नहीं रहा, अब विकास और रोजी-रोजगार ही लोगों की पसंदगी का आधार बन गया है.
1990 के दशक में तीन लोकसभा चुनाव में भाजपा को विजयश्री दिला चुके फैजाबाद संसदीय क्षेत्र में इस बार इसके प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की लहर की परीक्षा होनी है, जहां इसके उम्मीदवार को कांग्रेस के मौजूदा सांसद निर्मल खत्री के अलावा सपा और बसपा उम्मीदवारों से चुनौती मिल रही है.
भाजपा ने वर्ष 1996 के बाद पहली बार अपने चुनाव घोषणापत्र में राम मंदिर मुद्दे का जिक्र करके यह इशारा दिया है कि उसे इस मुद्दे में अब भी सम्भावनाएं नजर आती हैं लेकिन उसकी यह महत्वाकांक्षा फलीभूत होगी या नकारी जाएगी, इसका असल फैसला फैजाबाद की जनता को ही करना होगा.
यह अलग बात है कि यहां की जनता ने राम का नाम लेकर देश की राजनीति को नई शक्ल देने वाली भाजपा को 1990 के दशक में तीन बार सिर-आंखों पर बैठाया लेकिन 1999 से 2004 तक केंद्र में भाजपानीत सरकार के रहते भी मंदिर नहीं बनने पर फैजाबाद की जनता के लिये यह पार्टी उतनी प्यारी नहीं रही कि उसके प्रतिनिधि को अपना नुमाइंदा बना ले.
भाजपा को इस सीट पर पहली बार राम मंदिर आंदोलन के चरमकाल 1991 में जीत मिली थी और वर्ष 1996 तथा 1999 के चुनावों में भी यहां उसका ध्वज फहराया था. मगर 2004 के चुनाव में इसके उम्मीदवार तथा अयोध्या से तत्कालीन विधायक लल्लू सिंह को पराजय का मुंह देखना पड़ा था और 2009 के चुनाव में तो वह तीसरे स्थान पर खिसक गये थे. वर्ष 2009 में हुए पिछले लोकसभा आम चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री विजयी हुए थे और उनसे 54228 मतों के अंतर से बसपा के मित्रसेन यादव दूसरे स्थान पर रहे थे.
खत्री इस बार भी चुनाव मैदान में है और भाजपा ने एक बार फिर लल्लू सिंह पर भरोसा जताया है, जबकि पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे मित्रसेन यादव, इस बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है, जो बीकापुर सीट से विधायक भी है. मित्रसेन के पाला बदल लेने के बाद बसपा ने पूर्व विधायक जितेन्द्र सिंह बबलू पर दांव लगाया है.
नब्बे के दशक में तीन बार भाजपा की नैया पार लगाने वाली राम लहर अब बीते दिनों की बात लगती है और इसके उम्मीदवार लल्लू सिंह को मोदी के विकास के नारे और लहर का सहारा है, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार खत्री पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के युवा जोश के बूते अपनी सीट बचाये रखने का भरोसा जताते घूम रहे हैं.
सात मई को मतदान में जाने वाले इस संसदीय क्षेत्र में राजनीतिक प्रेक्षक, मुख्य लड़ाई खत्री और लल्लू सिंह के बीच मान रहे हैं. मगर सपा के मित्रसेन तथा बसपा के जितेन्द्र सिंह बबलू को खारिज करने को तैयार नहीं हैं और इस तरह मुकाबला चतुष्कोणीय होता लगता है.
फैजाबाद के साथ ही अयोध्या को समेटे इस संसदीय क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 16 लाख से उपर है, जिसमें सर्वाधिक लगभग 50 प्रतिशत अन्य पिछडी वर्ग की जातियों के हैं और निर्णायक भूमिका में लगते हैं. सवर्ण जातियों ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और कायस्थ जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग तीन लाख हैं और इतने ही मतदाता अनुसूचित जातियों से हैं, जबकि मुस्लिम मतदाताओं की संख्या दो लाख के आसपास बतायी जाती है.