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उच्च कोटि के विचारक थे नारायण प्रसाद वर्मा

पूर्णियाः जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में मधुबनी स्थित सिन्हा पब्लिक स्कूल में स्मृति शेष साहित्यकार नारायण प्रसाद वर्मा का जन्मशती समारोह का आयोजन किया गया. दिवंगत वर्मा के तैल चित्र पर दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण के पश्चात उपस्थित साहित्यकारों ने पुष्पांजलि अर्पित की. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो लक्ष्मेश्वर मिश्र ने की. प्रो लक्ष्मेश्वर […]

पूर्णियाः जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में मधुबनी स्थित सिन्हा पब्लिक स्कूल में स्मृति शेष साहित्यकार नारायण प्रसाद वर्मा का जन्मशती समारोह का आयोजन किया गया. दिवंगत वर्मा के तैल चित्र पर दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण के पश्चात उपस्थित साहित्यकारों ने पुष्पांजलि अर्पित की. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो लक्ष्मेश्वर मिश्र ने की.

प्रो लक्ष्मेश्वर मिश्र ने अपने अध्यक्षीय भाषण में नारायण प्रसाद वर्मा को अपना गुरु बताते हुए उनके अध्यापकीय जीवन यात्रा की भरपूर चर्चा की. साथ ही उन्हें उच्च कोटि का विचारक बताया. समारोह के मुख्य अतिथि पूर्णिया आकाशवाणी के पूर्व निदेशक विजय नंदन प्रसाद ने उन्हें आनेवाली पीढ़ियों का प्रेरणास्नेत बताया. समारोह के संयोजक एवं साहित्य सम्मेलन के पूर्व मंत्री मदन मोहन मर्मज्ञ ने स्मृति शेष वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें छायावाद के क्षरण और रहस्यवाद के प्रवेश काल का सशक्त रचनाकार बताया. श्री मर्मज्ञ ने कहा कि स्वाध्याय, अध्यापन एवं दार्शनिक चिंतन से उत्पन्न कोई विलक्षण पीड़ा ही उनकी रचना का कारण बनती थी. एक सजर्क के रूप में उन्होंने ऐतिहासिक मंच ‘रसधारा’ हस्तलिखित पत्रिका भारती और पूर्णिमा गोष्ठी का प्रसाद साहित्यकर्मियों के बीच रख छोड़ा. सतीनाथ भादुड़ी के बांग्ला उपन्यास जागरी के हिंदी अनुवाद के बाद उन्होंने लेखन के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग किये. वक्ताओं में चंद्रानंद शीतेश ने स्व वर्मा को काव्यगुरु और साहित्य लेखन का मार्गदर्शक बताया.

प्रो देवनारायण देव ने उन्हें संस्कृत बंगला और अंग्रेजी का विशेषज्ञ और विद्यापति तथा कालिदास के साहित्य का प्रकांड विद्वान प्रमाणित किया. नीरद जनवेणु ने उन्हें विलक्षण व्यक्तित्व का साहित्यकार कहा जबकि डा रामनरेश भक्त ने उनकी कृतियों की खोज और मूल्यांकन पर विशेष बल दिया. दिवंगत वर्मा की काव्य कृति नक्षत्र लोक की रानी जो उनके पुत्र ओम प्रकाश वर्मा द्वारा प्रकाशित किया गया, का विमोचन प्रो लक्ष्मेश्वर मिश्र द्वारा किया गया.

इस मौके पर हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष संजय कुमार सिन्हा, उमेश उत्पल, नंद किशोर, मैथिली साहित्य के रचनाकार सुरेंद्र नाथ मिश्र, महेश विद्रोही, प्रेरक प्रसंगों के वक्ता राजीव श्रीवास्तव, बाल गोपाल प्रसाद, प्रो अहमद हसन दानिश, गौतम सिन्हा पत्रकार, गोविंद कुमार, भालेश के अध्यक्ष छोटे लाल बहरदार, उमेश आदित्य आदि उपस्थित थे.

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