देवघर: देवघर जिले में मनरेगा का हाल बुरा है. क्योंकि जिस तबके के लोग मनरेगा की योजनाओं में काम करते हैं. वे निहायत ही मजदूर क्लास के गरीब होते हैं. रोज कमाने के बाद जो आय होती है, उससे उनके प्रतिदिन का चूल्हा जलता है.
लेकिन देवघर जिले में मनरेगा मजदूरों का भुगतान 15 से 30 दिन ही नहीं 90 दिन से भी अधिक दिनों तक पेंडिंग है. इस कारण प्रखंडों से संबंधित बैंकों या पोस्ट ऑफिस में राशि भेज तो दी जाती है लेकिन एफटीओ प्रणाली के तहत डाटा इंट्री या अन्य तकनीकी कारणों से राशि मजदूरों तक नहीं पहुंच पा रहा है.
इस कारण रोज कमाने-खाने वाले मनरेगा मजदूरों का चूल्हा जलना भी मुश्किल हो गया है. ऐसा नहीं है कि एफटीओ प्रणाली की त्रुटि के बारे में प्रखंड से लेकर जिले के अधिकारियों को जानकारी नहीं है. उन्हें जानकारी रहती है लेकिन मजदूरों के मजदूरी का भुगतान समय पर कैसे हो, इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है.
इनवेलिड अकाउंट के कारण अटकी मजदूरी
प्रखंडों से फंड ट्रांसफर ऑर्डर के जरिये मजदूरी भुगतान के लिए पोस्ट ऑफिस और बैंकों में राशि भेजी गयी लेकिन 2014-15 में अब तक 315 अकाउंट अमान्य पाये गये जिस कारण मजदूरों का 2 लाख 54 हजार 930 रुपये का भुगतान अटका है. ये राशि मजदूरों के खाते में गये ही नहीं. इनमें 99} खाते पोस्ट ऑफिस के हैं. यह सिर्फ इस वित्तीय वर्ष का मामला नहीं है. ऐसा पिछले वित्तीय वर्ष में भी हुआ है. 2013-14 के आंकड़ों को देखें तो पोस्ट ऑफिस में 3645 और बैंकों में 102 मजदूरों के खाते इनवेलिड हो गये थे. इस कारण पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 2.31 करोड़ का भुगतान नहीं हो पाया था.
विलंब से भुगतान के कारण मजदूरों को परेशानी
जिले में मनरेगा योजनाओं में काम करने वाले मजदूरों को 15 दिनों के अंदर मजदूरी भुगतान का प्रावधान है. लेकिन देवघर जिले में एक्ट की अनदेखी हो रही है. क्योंकि अभी वित्तीय वर्ष 2014-15 शुरू ही हुआ है और मजदूरों को एक माह बाद भी मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है. देवघर जिले में कुल 6572 ट्रांजेक्शन के एवज में 57.29 लाख रुपये मजदूरी का भुगतान लंबित है. एक माह का आंकड़ा जब 57 लाख पार कर चुका है तो वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक लंबित भुगतान का आंकड़ा करोड़ को छू जायेगा.