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गांव में ही मारा गया कुलेश्वर सिंह

लातेहार : सीमित संसाधनों एवं सूचना तकनीक के अभाव के बावजूद लातेहार पुलिस ने वर्ष 2007 में जनसंघर्ष मुक्ति मोरचा के तत्कालीन सुप्रीमो व क्षेत्र का आतंक लोहा सिंह को मार गिराया था. तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रविकांत धान के नेतृत्व में गठित एक टीम ने इस काम को अंजाम दिया था. लोहा सिंह को मार […]

लातेहार : सीमित संसाधनों एवं सूचना तकनीक के अभाव के बावजूद लातेहार पुलिस ने वर्ष 2007 में जनसंघर्ष मुक्ति मोरचा के तत्कालीन सुप्रीमो व क्षेत्र का आतंक लोहा सिंह को मार गिराया था. तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रविकांत धान के नेतृत्व में गठित एक टीम ने इस काम को अंजाम दिया था.

लोहा सिंह को मार गिराने के बाद जिले के तत्कालीन तीन थाना प्रभारी अवध यादव, कमलेश सिंह व बीपी महतो को वीरता पदक से नवाजा गया था. इस कार्रवाई से जनता के बीच पुलिस की एक स्वच्छ छवि बनी थी. लोहा सिंह मारे जाने के बाद पत्थर सिंह संगठन का सुप्रीमो बना. उसने लोहा सिंह की हत्या का बदला लेने की एलान किया. लेकिन मात्र छह माह के अंदर ही एसपी श्री धान के नेतृत्व में की गयी छापामारी में वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया. पत्थर सिंह के बाद कुलेश्वर सिंह ने संगठन की जवाबदेही उठायी.

लोहा सिंह की तर्ज पर चलते हुए उसने उक्त जिलों में संगठन को मजबूत करने का काम किया. लेकिन कुलेश्वर उरांव संसाधनों व आधुनिक तकनीक से युक्त पुलिस की गिरफ्त से दूर ही रहा. विगत दिन जब वह चंदवा थाना क्षेत्र स्थित घर में वैवाहिक कार्य के लिए आया हुआ था. उसी दौरान टीपीसी के सशस्त्र उग्रवादियों ने उसे घर में घेर कर मार गिराया. सूचना रहने के बावजूद चंदवा पुलिस कुछ नहीं कर सकी.

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