– राजेंद्र कुमार-
मैनपुरी : यह समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि है. तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्नी रहे और देश के रक्षामंत्नी का पद संभाल चुके मुलायम सिंह यादव यहां किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. मैनपुरी को दुनिया में यूपी के राज्य पक्षी सारस के ठौर ठिकाने और हजारों लोगों की जिंदगी उजाड़ने वाली मैनपुरी तंबाकू को लेकर भी जाना जाता है.
यहां मुलायम सिंह के राजनीतिक रूतबे को लेकर लोग गर्व महसूस करते हैं, क्योंकि उनकी वजह से ही मैनपुरी को वीआईपी स्टेटस मिला हुआ है. मुलायम ने इस इलाके की सूरत बदली. सरकार का करोड़ों रु पये खर्च कराकर इलाके में विकास कराया है. सड़क, शिक्षा और लोगों के इलाज का यहां बेहतर इंतजाम मुलायम ने यहां किया है. चौबीस घंटे बिजली मिलने का सुख यहां के लोगों को मुलायम सिंह यादव की वजह से ही नसीब हुआ है. बेहतर खेती का प्रबंध भी उन्होंने यहां किया है.
आजादी के बाद भले ही इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा हो, लेकिन मुलायम सिंह यादव ने जबसे अपनी राजनीति का केंद्र इस इलाके को बनाया यह क्षेत्न उनका हो गया. यहां से वही जीता जिसे मुलायम ने चाहा. यहां से जीतकर संसद में पहुंचने के लिए मुलायम के कभी धुर विरोधी रहे बलराम सिंह यादव तक को सपा की टोपी ही पहननी पड़ी थी. मुलायम यहां से तीन बार चुनाव जीत कर संसद पहुंच चुके हैं. अब फिर संसद में पहुंचने के लिए मुलायम ने मैनपुरी के अलावा आजमगढ़ संसदीय सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं. यूपी के यादव और मुस्लिम बाहुल्य इस क्षेत्न में मुलायम सबके हीरो हैं. यहां मुलायम सिंह की हार को कोई चर्चा नहीं करता. चर्चा हो रही है तो यह कि आजमगढ़ और मैनपुरी संसदीय सीट से चुनाव जीतने के बाद मुलायम किस सीट को छोड़ेंगे.
मैनपुरी सीट से मुलायम सहित 13 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा ने यहां एसएस चौहान को मैदान में उतारा है. उनके टिकट को लेकर पार्टी कार्यकर्ता नाराज हैं. आरोप लग रहे हैं कि मुलायम की राह को और आसान करने के लिए ही कमजोर प्रत्याशी मैदान में उतार दिया गया. चौहान अपने चुनाव प्रचार में मोदी-मोदी कर रहे हैं. वह जानते हैं कि उनका अपना मजबूत आधार नहीं है. जबकि बसपा ने यहां पर संघिमत्ना मौर्या को टिकट दिया है. संघिमत्ना बसपा के विधानमंडल दल के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं.
वह अपने छोटे बेटे को साथ लेकर महंगी गाड़ी से चुनाव प्रचार कर रही हैं. बसपा का समूचा वोट उन्हें मिलने का दावा उनकी पार्टी के लोग यहां कर रहे हैं. बसपा के वोट पर मोदी का कोई असर नहीं है. पर यहां का मुस्लिम वोट बसपा के साथ नहीं है. वह मुलायम के साथ है. कांग्रेस ने यहां अपना प्रत्याशी नहीं खड़ा किया है क्योंकि मुलायम ने भी सोनिया और राहुल के खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है. आम आदमी पार्टी ने सेवानिवृत्त पीसीएस अफसर बाबा हरदेव सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. बाबा हरदेव को मुलायम ने कई अहम पदों पर तैनात किया था, अब वह मुलायम के खिलाफ वोट मांगते घूम रहे हैं. उन्हें यह लोग गंभीरता ने नहीं ले रहे हैं और फक्कड़ बाबा आया है, कह कर नाकारते हैं.
मुलायम सिंह के चुनावी प्रचार का सारा काम उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव के देख रहे हैं. मुलायम यहां से नामांकन दाखिल करने के बाद यूपी के अन्य जिलों में चुनाव प्रचार कर रहे हैं. समूचे मैनपुरी में घूमकर लोगों से बतियाने पर यही अहसास होता है कि यहां पर तो मुलायम के नाम पर ही चुनाव हो रहा है. सपा समर्थको को छोड़कर अन्य लोग चुनाव पर ज्यादा चर्चा नहीं करना चाहते. जो लोग बोलते हैं, वे मुलायम का साथ देने का दावा करते हैं. मुलायम के मैनपुरी और आजमगढ़ से चुनाव लड़ने की चर्चा यहां खूब चल रही है. सपा के स्थानीय नेता लोगों को समझा रहे हैं कि नेताजी आजमगढ़ सिर्फ इसलिए गए हैं क्योंकि वह नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्नी बनने से रोक सकें.
यहां मैनपुरी तंबाकू के कारोबार से जुड़े उमेश यादव कहते हैं कि यहां मुलायम का तो जोर है ही लेकिन इस बार गांवों में मोदी की भी चर्चा हो रही है. लोग नरेन्द्र मोदी के बारे में जानते हैं और उनपर चर्चा कर रहे हैं पर ऐसे लोग भी वोट मुलायम को ही देंगे. मुलायम राष्ट्रीय नेता हैं और यहां उन्हें हराने को लेकर कोई नहीं सोचता. उमेश मुलायम की एक और खासियत का जिक्र करते हैं. उनके अनुसार संसार में प्रसिद्ध मैनपुरी तंबाकू को मुलायम छूते तक नहीं है और यह तंबाकू खाने वाले यहां के लोग मुलायम के अलावा किसी अन्य नेता का साथ भी नहीं देते. मुलायम के प्रति लोगों का स्नेह मुलायम को यहां मजबूत किए है. यहां का सामाजिक समीकरण मुलायम के साथ हैं और बहुत से लोग सरकार के विरोध में नहीं खड़े दिखना चाहते हैं क्योंकि ऐसा करने से मैनपुरी का वीआईपी स्टेटस छिनेगा और यहां के लोग यह नहीं चाहते.
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कौन कब-कब जीता
1952 बादशाह गुप्ता कांग्रेस
1957 बंशीदास धनगर प्रसोपा
1962 बादशाह गुप्ता कांग्रेस
1967 महाराज सिंह कांग्रेस
1971 महाराज सिंह कांग्रेस
1977 रघुनाथ सिंह वर्मा लोकदल
1980 रघुनाथ सिंह वर्मा जनता पार्टी
1984 बलराम सिंह यादव कांग्रेस
1989 उदय प्रताप सिंह जद
1991 उदय प्रताप सिंह जपा
1996 मुलायम सिंह यादव सपा
1998 बलराम सिंह यादव सपा
1999 बलराम सिंह यादव सपा
2004 मुलायम सिंह यादव सपा
2004 धमेंद्र यादव (उपचुनाव) सपा
2009 मुलायम सिंह यादव सपा
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कुल मतदाता ::::::::: 1607635
पुरूष मतदाता ::::::::::: 875861
महिला मतदाता ::::::::::: 731749
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