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इस साल खराब रहेगी बैंकों की हालत

मुंबई:आर्थिक मंदी और उच्च ब्याज दरों की वजह से इमजिर्ग मार्केट बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. रेटिंग एजेंसी फिच ने इमजिर्ग मार्केट पर अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि सबसे ज्यादा जोखिम भारत और चीन में है. हालांकि, एजेंसी ने रूस और तुर्की में इसकी रेटिंग बढ़ायी है. भारतीय बैंकों की एसेट क्वालिटी […]

मुंबई:आर्थिक मंदी और उच्च ब्याज दरों की वजह से इमजिर्ग मार्केट बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. रेटिंग एजेंसी फिच ने इमजिर्ग मार्केट पर अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि सबसे ज्यादा जोखिम भारत और चीन में है. हालांकि, एजेंसी ने रूस और तुर्की में इसकी रेटिंग बढ़ायी है. भारतीय बैंकों की एसेट क्वालिटी में और कमजोरी दिख सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2013 के मध्य में जहां नॉन-परफॉर्मिग लोन (एनपीएल) और रीस्ट्रक्चर्ड लोन बैंकों के कुल लोन का 10 फीसदी था, वहीं मार्च 2015 तक यह बढ़ कर तकरीबन 15 फीसदी हो जा सकता है.

रेटिंग फर्म का कहना है कि इससे सबसे ज्यादा प्रभावित सरकारी बैंक हैं. बेसेल नियमों के पूरी तरह से पालन के लिए इन बैंकों को तकरीबन 60 अरब डॉलर की जरूरत हो सकती है. हालांकि, नियमों के लागू होने में हुई देरी से बैंकों पर निकट भविष्य में पूंजी का दबाव कम हो गया है. फिच ने कहा है कि स्लो ग्रोथ, हाइ रेट और कुछ मामलों में राजनीतिक अनिश्चितता के कारण 2014 में उभरते बाजारों के ज्यादातर बैंकों का प्रदर्शन कमजोर रहेगा. हालांकि, बैंकों की क्रेडिट और रेटिंग में रिकवरी लौट आयेगी. रेटिंग फर्म को चीन में जबरदस्त क्रेडिट ग्रोथ की उम्मीद है. हालांकि, यह पिछले साल के मुकाबले कम रहेगा. पिछले साल चीन में क्रेडिट ग्रोथ 22 फीसदी थी और इस साल इसके 18 फीसदी रहने का अनुमान है. फिच के मुताबिक, एसेट क्वॉलिटी पर दबाव में बढ़ोतरी की भी आशंका है. हालांकि, नॉन-परफॉर्मिग लोन लो रह सकता है. फिच की एक और रिपोर्ट में कहा गया है कि निकट भविष्य में एबीएस ट्रांजैक्शंस में और गिरावट हो सकती है.

आइएमएफ और एसोचैम को नयी सरकार से उम्मीदें

इधर, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) और एसोचैम ने उम्मीद जतायी है कि तमाम निराशाओं के बावजूद नयी सरकार बनने पर भारत की अर्थव्यवस्था में गति आ सकती है. आइएमएफ ने कहा है कि सरकार की सबसे बड़ी चुनौती महंगाई पर काबू पाना होगा. इसके लिए सप्लाई साइड मैनेजमेंट को दुरुस्त करना होगा. इसके अलावा आइएमएफ चाहता है कि नयी सरकार आमदनी बढ़ाने और खर्च घटाने पर जोर दे. एसोचैम ने कहा कि नयी सरकार को सबसे पहले निवेशकों का भरोसा जीतनेवाले कदम उठाने की जरूरत होगी. एसोचैम ने नयी सरकार के सामने 30 दिन का एजेंडा सामने रखा है. इसमें कहा गया है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में काम तेजी से आगे बढ़ना चाहिए. रोजगार बढ़ाने के लिए बजट में ठोस एलान की जरूरत है.

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