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गुजरात मॉडल सिर्फ प्रचार का भ्रमजाल

16वीं लोकसभा चुनाव में भाजपा का विचार नहीं, बल्कि व्यक्तिवाद हावी है़ नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व देश भर में छाया हुआ है. उनकी पार्टी का नारा-‘अबकी बार मोदी सरकार’ ब्रांड बना हुआ है़ वैसे मीडिया भी उनके आगे सभी राजनीतिक हस्तियों को बौना साबित करने में लगा हुआ है़. पिछले रविवार को प्रभात खबर में […]

16वीं लोकसभा चुनाव में भाजपा का विचार नहीं, बल्कि व्यक्तिवाद हावी है़ नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व देश भर में छाया हुआ है. उनकी पार्टी का नारा-‘अबकी बार मोदी सरकार’ ब्रांड बना हुआ है़ वैसे मीडिया भी उनके आगे सभी राजनीतिक हस्तियों को बौना साबित करने में लगा हुआ है़. पिछले रविवार को प्रभात खबर में पूर्व राजनयिक पवन के वर्मा का लेख पढ़ने को मिला़ उनके लेख से कुछ ऐसा ही आभास होता है कि भाजपा ने किसी व्यवसायी की तरह विज्ञापन का सहारा लेकर चुनावी वैतरणी पार कर लेने का इरादा पक्का कर लिया है़.

क्या सचमुच नरेंद्र मोदी देश की दशा बदल देंगे या यह कोरी राजनीतिक लफ्फाजी है? उनके हर चुनाव प्रचार में देशवासियों के सामने गुजरात मॉडल की ही चर्चा जोर-शोर से प्रचारित-प्रसारित की जा रही है़ मीडिया से छन कर आ रही खबरों के मुताबिक, गुजरात के विकास के जो गुण गाये जा रहे हैं, उसमें कितनी सच्चाई है यह तो मालूम नहीं, लेकिन ऐसा लगता है यह सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी को प्रमोट करने का भ्रमजाल मात्र है. अवसरवाद की राजनीति में माहिर नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह अपने वरिष्ठों की अनदेखी करने का उतावलापन दिखा चुके हैं.

जब व्यक्ति-पूजा करनी है, तो नरेंद्र मोदी ही क्यों? और भी कई चेहरे हैं इस देश में. जनमानस बहुआयामी प्रचार के भ्रमजाल में फंस कर एकतरफा निर्णय करने की संकीर्ण मानसिकता से बच़े आंखों देखी और कानों सुनी में अंतर होता है़ व्यक्तित्व के आकर्षण में फंस कर अपना अहित करने से अच्छा यह होगा कि राजनेताओं के कार्यो का तुलनात्मक अध्ययन करके ही कोई निर्णय लें, ताकि बाद में पछताना न पड़े.

प्रदीप कु शर्मा, बारीडीह, जमशेदपुर

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