पटना : आइजीआइएमएस में छह माह पहले स्त्री व प्रसव विभाग के लिए बड़ी उम्मीद से ओटी बना. मशीन खरीद के लिए निविदा निकाली गयी. डेढ़ माह पहले संस्थान के कार्यकारी निदेशक एके चौहान ने स्त्री व प्रसव विभाग के ओटी का उद्घाटन किया. लेकिन, तल्ख सच्चई यही है कि आज तक इस नवनिर्मित ओटी में सामान्य या ऑपरेशन से एक भी बच्चे का जन्म नहीं हो पाया. ओटी में मशीन है ही नहीं.
सूत्रों की मानें तो भरती महिलाओं के लिए अलग से वार्ड बनाने की बात थी, ताकि वहां पर जन्म के बाद गंभीर बच्चों की केयरिंग ठीक से हो सके, किंतु सभी योजनाएं कागजों पर चल रही हैं. डिलेवरी के नाम पर बस चिकित्सक व स्टाफ को हर माह मोटी रकम मिल जा रही है, लेकिन यहां की व्यवस्था देखनेवाला कोई नहीं है.
मेन ओटी में सिजेरियन
परिसर में स्त्री व प्रसव विभाग खुलने के बाद कभी-कभी कुछ महिलाएं इमरजेंसी में भरती होने आ जाती हैं. ऐसी स्थिति में संस्थान की महिला चिकित्सक खुद को बचाने के लिए मेन ओटी का सहारा लेती हैं, जबकि वहां बच्चे का जन्म होना काफी खतरनाक हैं. मेन ओटी के इमरजेंसी वार्ड में जन्म लेनेवाले बच्चे को संक्रमण हो सकता है. इसके बाद भी लापरवाही बरती जाती है. यही नहीं, सूत्रों की मानें तो इमरजेंसी में एक दो बच्चे का जन्म सिजेरियन से हुआ है, इससे दोनों की जान पर बन सकती है.
बेकार पड़ी हुई है नयी मशीन
प्रसव के बाद अगर बच्चों में किसी तरह की परेशानी आयी, तो उसे अस्पताल में भरती किया जायेगा. इसके लिए अलग से 20 बेड की शिशु केयर यूनिट तैयार की जानी थी. इसके लिए मशीन बहुत पहले से आ कर परिसर में रखी हुई है, जिस पर सरकारी धूल जम गयी है. इसे कुछ दिनों में खराब घोषित कर दिया जायेगा, क्योंकि यहां का स्त्री विभाग बिल्कुल ठप पड़ा हुआ. ऐसे में काम नहीं होने से मशीन रखी-रखी खराब हो सकती है. उधर, स्त्री व प्रसूति विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ मीनू शरण कहती हैं कि इस संबंध में हम आपको किसी तरह की जानकारी नहीं दे सकते हैं. अगर हमसे आप पूछेंगे, तो हमारा जवाब होगा हां. लेकिन उनके पास कोई आंकड़ा नहीं है कि उन्होंने अब तक कितनी डिलेवरी करायी है.