आम चुनाव के तीन चरण पूरे हो गये हैं. झारखंड में भी नक्सलियों के गढ़ में चार सीटों पर मतदाताओं ने पूरे जोश-खरोश के साथ अपने मताधिकार का प्रयोग किया. कई बूथों पर लंबी-लंबी लाइनें देखने को मिलीं. एक तरफ नये-नये वोटर बने युवा मतदाताओं का जोश था, तो दूसरी तरफ बुजुर्ग और अनुभवी लोगों की जमात. महिलाओं की भागीदारी भी सराहनीय रही.
लेकिन एक चीज आपने अनुभव की होगी कि इस बार आम चुनाव में जहां देश के दूसरे हिस्सों में मतदान का प्रतिशत बहुत ज्यादा है, वहीं अपने राज्य में ऐसा देखने को नहीं मिला. हालांकि पिछली बार की तुलना में झारखंड में भी मतदान प्रतिशत करीब आठ फीसदी ज्यादा रहा. लेकिन यह और बेहतर हो सकता था. इसकी जरूरत भी थी. आखिर झारखंड को भी तो देश के साथ कदम से कदम मिला कर चलना है. मतदान के तीसरे चरण में सिर्फ बिहार की छह और छत्तीसगढ़ की एक सीट को छोड़ दें, तो झारखंड का मतदान नीचे से तीसरे नंबर पर रहा.
झारखंड के शहरी और कस्बाई इलाकों में तो लोगों ने जम कर मतदान किया, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों से उतने मतदाता नहीं निकले, जितने से मतदान प्रतिशत एकदम से बढ़ जाता. फिर भी एक बात के लिए तो चुनाव आयोग को बधाई देनी ही चाहिए कि इस बार झारखंड में चुनाव का पहला चरण बिना किसी बड़ी वारदात के संपन्न हो गया. पोलिंग पार्टियां भी मतदान संपन्न करवा कर सकुशल जिला मुख्यालयों पर पहुंच गयीं. अब 17 अप्रैल को झारखंड की छह सीटों रांची, जमशेदपुर, सिंहभूम, हजारीबाग, गिरिडीह और खूंटी सीटों पर मतदान होना है.
कहने को इनमें भी बहुसंख्य नक्सल प्रभावित हैं, लेकिन शहरी क्षेत्र भी ज्यादा है. दूसरे चरण में उम्मीद की जानी चाहिए कि झारखंड के जागरूक मतदाता बड़ी संख्या में मतदान करके पूरे देश में एक नया रिकार्ड बनायेंगे. इसके लिए जिला प्रशासन के साथ-साथ तमाम प्रत्याशियों को भी जोर लगाना होगा. लोकतंत्र के इस महापर्व में ज्यादा से लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना हर एक की जिम्मेदारी है. मायने यह नहीं रखता कि आप किसे वोट देते हैं, मायने यह रखता है कि आपने वोट डाला कि नहीं. तो 17 अप्रैल को अगले चरण में आप सभी मतदान करके लोकतंत्र को मजबूत करें.