मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में सुविधा के नाम पर शुल्क तो लिया जाता है, पर सुविधाएं नहीं मिलती. कुछ ऐसा ही मामला विभिन्न परीक्षाओं की रिटोटलिंग का है. वर्ष 2010 के बाद विवि में स्नातक पार्ट वन, टू व थ्री, एवं पीजी प्रीवियस व फाइनल की परीक्षा हुई.
इन सभी परीक्षाओं के रिजल्ट से काफी छात्र असंतुष्ट भी हुए. ऐसे छात्रों से परीक्षा विभाग ने रिटोटलिंग के लिए आवेदन आमंत्रित किया. इसके तहत प्रति कॉपी 75 रुपये का शुल्क भी लिया गया. पर तीन साल बाद भी कॉपियों की रिटोटलिंग नहीं हुई. इनकी संख्या हजार से ऊपर है. ये सभी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.
छात्रों का आरोप है कि रिटोटलिंग के नाम पर परीक्षा विभाग का मकसद उगाही की रह गयी है. इससे छात्रों को कोई फायदा नहीं होता. हालांकि इस दौरान पीआरटी की दो परीक्षाओं के कॉपियों की रिटोटलिंग हुई. इसका फायदा भी छात्र-छात्रओं को मिला. विभाग की सूत्रों की मानें तो रिटोटलिंग नहीं होने का एक कारण कई कॉपियों का गायब होना भी है. फिलहाल दर्जनों छात्र-छात्राएं आज भी रिटोटलिंग के लिए विभाग का चक्कर लगा रहे हैं.