।। दक्षा वैदकर ।।
एक साथी ने बताया कि स्कूल के दिनों में जब भी कोई प्रोजेक्ट बनाने की या ज्यादा होमवर्क करने की स्थिति आती थी, तो वह अपने पापा-मम्मी की मदद लेता. वह गर्मी की छुट्टियां खेल-खेल कर बीता देता और जब प्रोजेक्ट पूरा करने की बारी आती, तो रोने लगता. मम्मी-पापा उसे चुप कराने के लिए प्रोजेक्ट बना देते. कई बार वे अपनी लेखन शैली को जान-बुझ कर बच्चों जैसा बनाते और बेटे का पूरा होमवर्क कर देते. मेरा दोस्त भी इस बात से बेहद खुश था कि उसका होमवर्क बिना मेहनत के पूरा हो जाता है.
एक बार जब मम्मी-पापा ने प्रोजेक्ट बहुत अच्छा बना दिया, तो टीचर ने दोस्त से पूछ लिया. ये किसने बनाया है. दोस्त ने कहा, ‘मैंने’. टीचर ने कहा, मैं हमेशा की तरह इस प्रोजेक्ट के भी पूरे नंबर दे सकती हूं और आज भी तुम मन ही मन सोच सकते हो कि मैंने टीचर को बेवकूफ बना दिया और मम्मी-पापा से प्रोजेक्ट बनवा लिया, लेकिन एक बात याद रखना. इस तरह तुम मुङो नहीं बल्कि अपने आप को बेवकूफ बना रहे हो. ये प्रोजेक्ट तुम्हारे दिमाग के विकास के लिए है, न कि तुम्हारे माता-पिता के. उन्हें तो यह सब पहले से ही आता है इसलिए तो वे अच्छी जॉब कर रहे हैं. आज तुम इस बात को नोट कर लो कि भविष्य में तुम अच्छी नौकरी नहीं कर पाओगे, अगर इसी तरह पैरेंट्स से होमवर्क करवाते रहे तो. दोस्त ने बताया, टीचर की बात को मैंने गांठ बांध लिया और तय किया कि अब ऐसा नहीं करूंगा.
दोस्तों, टीचर ने एक बहुत बड़ी सीख दी है. यह न केवल बच्चों के लिए है बल्कि बड़ों के लिए भी है. आज कई ऐसे लोग ऑफिसों में काम कर रहे हैं, जो केवल समय बीता रहे हैं. उन्हें लगता है कि जैसे-तैसे आज का दिन भी काट लो और चुपके से घर चले जाओ. उन्हें लगता है कि आज भी हमने काम न कर के बॉस को उल्लू बनाया. आज भी हम बीमारी का बहाना बना कर फिल्म देख आये. बॉस बेचारे को तो हमारी चालाकी समझ ही नहीं आयी, लेकिन यह बात याद रखें कि कि इस तरह आप अपनी तरक्की रोक रहे हैं. खुद बेवकूफ बन रहे हैं.
बात पते की..
– अपने काम को टाल कर, उसे दूसरों से करवा कर, दूसरों से करवाने के बाद श्रेय खुद ले कर आप दूसरों को नहीं, खुद को उल्लू बना रहे हैं.
– जब भी आप किसी को बेवकूफ बनाते हैं, तो यह समीकरण उलट कर आपके ऊपर ही लागू होता है. बेहतर है कि अपना काम खुद ही करें.