बेतियाः चैत मास में रविवार को सूर्य षष्ठी व्रत का समापन होने से इस बार के चैती छठ का अत्यधिक महत्व है. आचार्य राधाकांत शास्त्री के अनुसार मृगशीरा नक्षत्र में सौभाग्य योग होने की वजह से यह अति महत्वपूर्ण व विशेष फलदायी है. चैती छठ की समाप्ति रविवार को सूर्योपासना के अर्घ के साथ होगी. नवरात्र में अन्नपूर्णा परिक्रमा के साथ ही इस व्रत का संयोग अति महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
शनिवार की संध्या छह बजे अस्ताचलगामी व रविवार की सुबह 5.40 बजे उदयगामी सूर्य को अर्घ देने के साथ लोक आस्था के इस महापर्व की समाप्ति होगी. आचार्य शास्त्री ने बताया कि चैती नवरात्र में महा अष्टमी पूजा नवरात्र की रात्रि एक बज कर ग्यारह मिनट से प्रारंभ होगी. व्रती अन्नपूर्णा परिक्रमा रविवार की रात्रि 1.11 से प्रारंभ करेंगे जो अगले रोज रात्रि तीन बजे तक चलेगी. उसके बाद महा नवमी की पूजा अर्चना होगी.