रांची जिले के सिल्ली की रहने वाली सीमा देवी और उनकी बड़ी बहन वीणा देवी बोल-सुन नहीं सकती हैं. ईश्वर ने उन्हें जन्मजात मूक -बधिर बनाया है. अपनी गहरी संवेदना के कारण वे आपकी हर बात और सवाल को महसूस कर सकती हैं और अपने ही लहजे में उसका जवाब दे सकते हैं. अपने जीवन की विकट स्थितियों से जूझती सीमा की जिंदगी में रूडसेट संस्था ने बदलाव लाया. लगभग दो साल पहले रूडसेट संस्था में सिलाई-कढ़ाई का काम का प्रशिक्षण पाने के लिए सीमा का चयन हो गया. संस्था से प्रशिक्षण लेकर वे सिलाई-कढ़ाई के काम में पारंगत न सिर्फ पारंगत हुईं, बल्कि नयी लड़कियों को प्रशिक्षुओं के लिए बेहतर प्रशिक्षक भी बन गयीं. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने फूलटांड़ गांव में प्रशिक्षण देने का काम शुरू किया. कुसुमटेकर में बच्चियों को सिलाई सिखाई.
मुश्किलों से जूझ रही हैं सीमा
सीमा के साथ सिर्फ बोलने-सुनने की ही समस्या नहीं है. कमजोर स्वास्थ्य भी उनके लिए परेशानी है. उनके बड़े भाई राजकिशोर मांझी बताते हैं कि पिछले दिनों तबीयत बिगड़ जाने व खून की कमी के कारण उन्हें अस्पताल में भरती करवाना पड़ा. फिलहाल वे पहले से स्वस्थ हैं और घर में रह रही हैं. वे बताते हैं कि जब उनकी तबीयत थोड़ी और बेहतर हो जायेगी, तो उन्हें फिर से सिलाई सिखाने भेजेंगे. सीमा की माता जी बताती हैं कि वह सिलाई-कढ़ाई में बहुत निपुण है और इसकी बारीकियों को काफी अच्छे से समझती हैं, लेकिन अपने निजी जीवन व स्वास्थ्य के कारण परेशान रहती है.
वीणा बनाती हैं गुड्डे-गुड़िये और टेडी बियर
सीमा की बड़ी बहन वीणा देवी खूबसूरत गुड्डे-गुड़िया व टेडी बियर बनाती हैं. हालांकि उन्होंने इसके लिए कहीं से औपचारिक रूप से प्रशिक्षण नहीं लिया है. लेकिन अपने प्रयासों से वे इस काम में नि:पुण हो गयी हैं. उनका 10-11 साल का एक बेटा हेमंत बेदिया है, जो पास के ही अजीत बिड़ला स्कूल में पढ़ने जाता है.
रूडसेट ने मेरी बहन का जीवन बदला है. उसके अधूरापन को पूरा करने में इस संस्था का बड़ा योगदान है. वहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर सीमा सीलाई में कुशल हो गयीं.
राजकिशोर मांझी
जब हमलोगों ने प्रशिक्षण शुरू किया तो सीमा भी उसमें शामिल हुईं. अपने प्रयासों से वे सिलाई में काफी कुशल हो गयीं और नये लोगों को बहुत अच्छे से सिलाई का प्रशिक्षण देती हैं.
रामचंद्र, निदेशक, रुडसेट