पटना: चुनाव रणक्षेत्र में उतरे प्रत्याशियों को खर्च करने से ज्यादा उसे दिखाने में पसीने छूट रहे हैं. सबसे ज्यादा परेशानी उन्हें व्यय पंजी तैयार करने को लेकर हो रहा है. प्रतिदिन के खर्च का ब्योरा वे तैयार कर रहे हैं, लेकिन लिखने के दौरान वे उलझ रहे हैं. अगर निर्धारित रेट से अधिक दिखाया, तो खर्च का हिसाब बढ़ेगा. दूसरा कम रेट दिखाने पर भी निर्धारित रेट का ही हिसाब जुटेगा.
चुनावी सभा के दौरान लोगों के बैठने के लिए भाड़े पर ली गयी दरी की दर दिखाने में तो सहूलियत हो रही है, परंतु दरी का आकार मसलन कितने वर्ग फीट लंबा व कितने वर्ग फीट चौड़ा है, को लिखने में फंस रहे हैं. पंडाल का निर्माण हो रहा है, उसके खर्च भी दिखाये जा रहे हैं, लेकिन पंडाल के आकार से प्रत्याशी अनभिज्ञ हैं. इस ओर प्रत्याशी का ध्यान नहीं जा रहा है, जबकि प्रत्याशियों की एक-एक चीज पर हो रहे खर्च पर चुनाव आयोग की टेढ़ी नजर है. प्रत्याशियों द्वारा भले ही कई चीजें दरकिनार कर दी जा रही हो, लेकिन आयोग उनकी व्यय पंजी में जोड़ कर हिसाब पूरी तरह से टाइट कर रहा है, ताकि प्रत्याशियों द्वारा दिये जानेवाले हिसाब के समय पेश किया जा सके.
निर्धारित है रेट : चुनाव आयोग ने कट आउट से लेकर पंडाल व मंच निर्माण, सभा के दौरान उपयोग होनेवाली कुरसी ही नहीं, चाय पिलाने से लेकर भोजन कराने तक व भोजन बनाने में उपयोग होने वाले सामग्रियों का रेट तय कर रखा है. झंडा, बैनर, पोस्टर से लेकर प्रचार के लिए भाड़े पर लिये जानेवाले वाहनों का रेट भी निर्धारित है. लेकिन इसे लेकर प्रत्याशियों में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. कई ऐसी सामग्रियां भी हैं, जिनकी कीमत बाजार में अधिक है, लेकिन आयोग के रेट में कम है. कई ऐसे सामान हैं, जिनकी निर्धारित से अधिक रेट बाजार में है. अगर प्रत्याशी को कम रेट अथवा मुफ्त में भी कोई सामग्री मिलती है, तब भी आयोग द्वारा निर्धारित रेट उनके खर्च में जोड़ा जायेगा. इससे प्रत्याशी परेशान हैं.
खर्च की सीमा तय : चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों के खर्च की सीमा तय कर रखी है. यह सीमा 70 लाख रुपये है. इससे अधिक खर्च पर आयोग प्रत्याशी से तलब कर सकता है. यही नहीं, प्रत्याशियों द्वारा किये जाने वाले खर्च व तैयार की जा रही व्यय पंजियों की कड़ाई से जांच होगी. व्यय लेखा कोषांग व्यय पंजी की जांच करेगा. प्रत्याशियों को 4, 9 व 14 अप्रैल को व्यय पंजी प्रस्तुत करनी होगी. कोषांग के लेखा अधिकारी पंजी की जांच कर खर्च का मिलान करेंगे. आयोग द्वारा निर्धारित रेट व प्रत्याशियों द्वारा लिखे गये रेट की बारीकी से जांच होगी.