चुनाव के क्रम में और मतदान से पूर्व जहां महात्वाकांक्षी और देशभक्त, समाज सेवी और कर्मठ नेताओं, राजनेताओं का अन्य पार्टी से भाजपा में आने का क्र म जारी है, ऐसा लगने लगा है कि दो-दो अवसर प्राप्त कर सरकार चलाने वाली कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों ने जैसे हार मान लिया हो ओर जैसे उन्हें अपने फैसलों और सरकार को कामकाज पर पश्चाताप निराशा की ओर ले गयी है.
उनके बड़े-बड़े और कद्दावर नेताओं ने या तो चुनाव न लड़ने का फैसला लिया है अथवा मजबूरी में चुनाव लड़ रहे हैं. कभी कांग्रेस पार्टी और सरकार के नीति निर्धारक बड़े-बड़े नेताओं ने या तो भाजपा का दामन थाम लिया है, अथवा वे कांग्रेस को छोड़ गये हैं. एमजे अकबर जैसे काबिल पत्रकार को भाजपा में शामिल होने पर उन आलोचाकों को लगाम अवश्य लगेगा जो सेक्युलर के नाम पर वोट मांगते आये हैं अथवा भाजपा और मोदी का भय दिखाकर वोट पाते आये हैं. कुछ लोगों ने इतना शोर मचाया है कि मोदी के आने से देश का क्या होगा? ये वही लोग हैं जिन्होंने कभी भाजपा के सत्ता में आने पर भय का वातावरण बनाया था. मगर भाजपा की छत्रछाया और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए ने छह वर्षो तक देश को सफल और कुशल सरकार दिया.
वहीं आज कांग्रेस अपने 10 वर्षो के कामकाज को देखकर दिन-रात शर्माती रहती है. आखिर वह कौन सी उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जायेगी? आज भाजपा की ओर लोगों का रुझान बढ़ता जा रहा है और नरेंद्र मोदी अब विकल्प ही नहीं देश की जरूरत लगने लगे हैं. भाजपा और नरेंद्र मोदी पर दंगे के आरोप लगाकर जनता को अब गुमराह नहीं किया जा सकता. अब जनता को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत की तसवीर दिखाई दे रही है.
शाहनवाज हसन, साहेबगंज