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स्कूल बसों के टैक्स में 50} की छूट मिलती है

रांची: स्कूल बसों के टैक्स में सरकार प्रति वर्ष लाखों रुपये की छूट देती है, लेकिन इसका लाभ बच्चों को नहीं मिल पाता. जबकि स्कूल बसों को टैक्स में इस शर्त के साथ छूट दी जाती है कि वे इसका लाभ बच्चों को देंगे. स्कूल के नाम से निबंधित बसों के एडिशनल टैक्स में परिवहन […]

रांची: स्कूल बसों के टैक्स में सरकार प्रति वर्ष लाखों रुपये की छूट देती है, लेकिन इसका लाभ बच्चों को नहीं मिल पाता. जबकि स्कूल बसों को टैक्स में इस शर्त के साथ छूट दी जाती है कि वे इसका लाभ बच्चों को देंगे. स्कूल के नाम से निबंधित बसों के एडिशनल टैक्स में परिवहन विभाग 50 फीसदी की छूट देता है. राजधानी के स्कूलों को सरकार प्रति वर्ष लगभग 25 लाख रुपये का छूट देती है.

पिछले पांच वर्षो में इन स्कूलों को लगभग एक करोड़ रुपये से अधिक की छूट मिल चुकी है. इनके अलावा स्कूलों में ठेका पर चलने वाली बसों पर स्कूल को एक रुपये भी खर्च नहीं करने पड़ते, पर कमाई लाखों रुपये की होती है. स्कूल के नाम से निबंधित बसों के टैक्स में सरकार छूट देती है.

एक बस पर वर्ष में 10608 रुपये की छूट
एक बस पर स्कूल को वर्ष भर में टैक्स पर 10,608 रुपये की छूट मिलती है. एक तिमाही में एक बस के लिए इसका आधा ही अर्थात कुल 5,304 रुपये ही एडिशनल टैक्स देने पड़ते हैं. बस को इसमें 50 फीसदी की छूट मिलती है. स्कूल को एक तिमाही में 2652 रुपये देने पड़ते हैं. वर्ष भर में कुल 21,216 रुपये की जगह स्कूल को 10608 रुपये ही देने होते हैं.

सालाना 25 लाख की छूट
राजधानी में स्कूल के नाम से निबंधित लगभग 250 बसें हैं. एक बस को वर्ष भर में टैक्स में 10608 रुपये की छूट मिलती है. ऐसे में एक वर्ष में सरकार राजधानी के स्कूल बसों को लगभग 25 लाख रुपये का छूट देती है.

शर्त को नहीं मानते स्कूल
स्कूलों को इस शर्त के साथ टैक्स में छूट दी जाती है कि वे इसका लाभ बच्चों को बस किराया में रियायत देकर करेंगे. स्कूल टैक्स में छूट तो लेते हैं, पर इसका लाभ बच्चों को नहीं देते हैं.

बिना लागत कमाई
राजधानी के स्कूलों में अधिकांश बसें ठेका पर चलती हैं. इन बसों से स्कूल प्रबंधन को बिना लागत प्रति माह लाखों की कमाई होती है. ठेका पर चलने वाली 53 सीट की एक बस के लिए 25 से 30 हजार रुपये तक दिया जाता है. इन बसों में लगभग 75 बच्चे बैठते हैं. स्कूलों में 400 से लेकर नौ सौ रुपये तक बस किराया है. ऐसे में अगर एक बच्चे का औसत किराया 500 रुपये भी मान लिया जाय तो एक बस से लगभग 37500 रुपये का किराया लिया जाता है. एक बस से स्कूल को लगभग दस हजार रुपये की बचत होती है.

लंबी दूरी में रीजेक्ट स्कूल में सेलेक्ट
स्कूलों में ठेका पर चलने वाली अधिकांश बसों की स्थिति ठीक नहीं है. ठेका पर चलने वाली अधिकांश बसें लंबी दूरी के परिचालन में रीजेक्ट की जा चुकी होती हैं. कई स्कूलों में 30 वर्ष पुरानी बसें भी परिचालित हो रही हैं.

70 के दशक की बस
बीएचएन 5264, बीएचएन 6490, बीएचएन 9332, बीएचएन 8586

80 के दशक की बस
बीपीएन 5281, बीआइएन 9482, बीपीवाइ 9105, बीपीएन 8768, बीएचवी 8967,बीपीवाइ 9718, बीएचएफ 9616.

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