जानकारों की राय से ऐसा लगता है कि नोटा (इनमें से कोई नहीं) एक ऐसा विकल्प है, जिसका चुनाव के गणित पर कोई फर्क नहीं पड.ने वाला. ऐसे में इस विकल्प का क्या फायदा? पहले यह जरूर लग रहा था कि नोटा से फायदा होगा, क्योंकि इसे मतदाताओं का अधिकार बताया गया था, लेकिन अगर मतदाता किसी भी उम्मीदवार को पसंद नहीं करते, तो वे वोट देने घर से बाहर पोलिंग बूथ तक क्यों जायेंगे?
अगर उनके नापसंद के अधिकार से चुनाव का गणित कुछ बनता-बिगड.ता, तो वे जरूर इस अधिकार का समुचित उपयोग करते. साफ तौर पर नोटा के प्रावधान को और अधिक कारगर बनाने की जरूरत है. अगर इसमें ‘निगेटिव वोट’ और ‘राइट टू रिजेक्ट’ जैसे प्रावधान शामिल कर दिये जायें, तो स्थितियां पूरी तरह बदल जायेंगी और चुनाव सुधार के क्षेत्र में बडी सफलता मिलेगी.
राजेश झा, डोरंडा, रांची