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‘बदलो नीति, बदलो राज, जनता की आवाज’

(संतोष कुमार सिंह, नयी दिल्ली) ‘बदलो नीति, बदलो राज, संसद में जनता की आवाज’ का नारा देते हुए 2014 के आम चुनाव के लिए घोषणा पत्र जारी करते हुए सीपीआइ (एमएल) ने आम जनता से जुडे कई बुनियादी सवालों को उठाया है. बढती महंगाई पर काबू कर जनता को राहत देने के साथ ही आर्थिक […]

(संतोष कुमार सिंह, नयी दिल्ली)

‘बदलो नीति, बदलो राज, संसद में जनता की आवाज’ का नारा देते हुए 2014 के आम चुनाव के लिए घोषणा पत्र जारी करते हुए सीपीआइ (एमएल) ने आम जनता से जुडे कई बुनियादी सवालों को उठाया है. बढती महंगाई पर काबू कर जनता को राहत देने के साथ ही आर्थिक नीतियों को जनपक्षधर व विकास की रणनीति की दिशा बदलने की वकालत की है. बेरोजगार युवाओं को 5,000 रुपयेभत्ता देने के साथ ही ठेके पर काम कर रहे लोगों को नियमित करने पर जोर दिया है.

भेदभावपूर्ण कानूनों को खत्म करने, अन्य कानूनों को जनसम्मत बनाने व अमेरिका परस्त विदेश नीति के बदले पडोसी देशों से बेहतर संबंध बनाने की बात कही है. पार्टी ने बिहार की जनता को भाजपा, कांग्रेस के साथ ही प्रदेश के क्षेत्रीय दलों राजद और जदयू से भी सावधान रहने को कहा है.

प्रगतिशील मैनिफेस्टो

यह मैनिफेस्टो प्रो वर्कर है, प्रो किसान है, और प्रगतिशील है. इसके जरिये पार्टी ने समाज, राजनीति व अर्थव्यवस्था कीमौलिकसमस्याओं को रेखांकित करते हुए जनपक्षीय आर्थिक नीति और राजनीति को तवज्जो दिया है. आम आदमी की समस्याओं को केंद्र में रखकर मैनिफेस्टों को आकारदिया है.

निर्भया मामले के बाद महिलाओं की सुरक्षा के प्रति राजनीतिक दलों की चेतना बढी है. पार्टी ने अपने मैनिफेस्टो में महिलाओं की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया है. इसके साथ ही भारतीय संविधान के तीन मूल आधार- सेक्युलरिज्म, सोशियलिज्म और डेमोक्रेसी के गिरते स्तर और इसके समक्ष उत्पन्न खतरे के प्रति भी लोगों को आगाह किया है. जिस तरह से सत्ताधारी दल के नव उदारवादी नीतियों और इन नीतियों के फलस्वरूप उत्पन्न भ्रष्टाचार का सामना जनता को करना पडा है, उन खतरों के प्रति भी आगाह किया गया है. इस देश को कॉरपोरेट और सांप्रदायिकता इन दोनों से खतरा है. ऐसे में पार्टी कांग्रेस और भाजपा दोनों का विरोध कर रही है. इसके साथ ही खुद को धर्मनिरपेक्षता का अलमबरदार बताने वाले बिहार के क्षेत्रीय दलों जदयू और राजद के व्यवहार और सांप्रदायिकता और मोदी के अभियान को रोक पाने में इनकी अक्षमता पर भी पार्टी ने अपने घोषणापत्र के जरिये सवाल खडा किया है. साथ ही साथ आर्थिक नीतियों के मामले में बडे दलों के साथ इनकी समरूपता मसलन निजी पूंजी को बढ.ावा देने और गवर्नेस के मौजूद संरचना पर विरोध जताया है. इस लिहाज से देखें तो पार्टी के घोषणा पत्र में सांप्रदायिकता और समाजवाद के नाम पर अपनाये जा रहे आर्थिक नीतियों की आलोचना की है.

आर्थिक नीति : -कृषि जमीन की रक्षा के लिए एक नया कानून, जंगल की जमीन, समुद्र तटीय इलाकों और परंपरागत मत्स्य पालन के क्षेत्रों को निजी हाथों में अधिग्रहण को बंद करने की बात.

-स्वास्थ्य, शिक्षा और वैज्ञानिक शोध पर सार्वजनिक खर्च में वृद्धि.

-कॉरपोरेट पर टैक्स लगाने की प्रणाली को मजबूत व अमीरों पर उत्तराधिकार कर लगाकर राजस्व में बढ.ोतरी.

-प्रमुख आधारभूत संरचना एवं वित्तीय क्षेत्रों के निजीकरण बंद करने व तेल, गैस एवं खनिज जैसे प्रमुख संसाधनों को सार्वजनिक नियंत्रण.

-खुदरा एवं रणनीतिक महत्व वाले क्षेत्रों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नहीं, श्रम प्रधान क्षेत्रों को विदेशी प्रतिकुलताओं से रक्षा.

महंगाई में कमी

-खाद्य सुरक्षा कानून पर जोर, ताकि प्रत्येक परिवार को प्रतिमाह 50 किग्रा अनाज मिले.

-मनरेगा का विस्तार, 200 दिनों के काम, 300 रूपये न्यूनतम मजदूरी.

-आयकर सीमा से नीचे रह रहे लोगों और पांच एकड. से कम जमीन वाले सभी धारकों का नाम बीपीएल सूची में.

श्रमिकों पर ध्यान

-नियमित काम में लगे मजदूरों को स्थायी, समान काम के लिए समान मजदूरी व महिला मजदूरों को पुरुष मजदूरों के समान वेतन की बात.

-आशा, आंगनवाड.ी, मध्याह्न् भोजन, श्रमिकों को स्थायी कर्मचारी के रूप में मान्यता देने और उन्हें उपयुक्त वेतनमान.

-न्यूनतम वेतन की 15,000 रुपये प्रति माह.

अधिकारी गारंटी

-खाद्य, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के तमाम अधिकारों को संविधान में मौलिक अधिकार के रूप में शामिल करना.

-शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार न मिलने तक 5,000 रुपये बेरोजगारी भत्ता.

-सच्चर कमेटी व रंगनाथ मिश्र आयोग की सिफारिशों को लागू करना.

महिलाओं को अधिकार

-महिलाओं को सुरक्षित, सम्मानजनक व लाभकारी रोजगार गारंटी.

-सार्वजनिक स्थानों के साथ ही घरों में भी स्वच्छ शौचालयों, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की उपलब्धता.

-बलात्कार व एसिड हमले की शिकार महिलाओं की क्षतिपूर्ति के साथ ही उनके पुनर्वास की व्यवस्था.

-लोकसभा में महिला आरक्षण कानून पारित करवाना.

-प्रत्येक पुलिस जिले में हिंसा पीड.ित महिलाओं के लिए वन स्टॉप.

-चौबीसों घंटे खुला रहने वाले संकटकालीन केंद्र एवं सुरक्षित आश्रय स्थल की व्यवस्था.

-लैंगिक हिंसा के दोषियों को चुनाव लड.ने पर पाबंदी.

अन्य मुख्य बातें

सीपीआइ (एमएल) ने घोषणा पत्र में जो अन्य प्रमुख बातें कही हैं, उसमें चुनाव, कानून व पुलिस सुधार, सूचना के अधिकार कानून को मजबूत करने और जनलोकपाल कानून को लागू करने, ‘आधार’ स्कीम व सब्सिडी का नकद भुगतान योजना को वापस लेने, सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (एएफएसपीए) व राजद्रोह कानून की धारा 377 को समाप्त करने, ऑपरेशन ग्रीन हंट व सलवा जुडूम को समाप्त करने के साथ ही अनुसूचित जाति/ जनजाति अत्याचार निवारक कानून को मजबूत करने व नस्लवाद, अल्पसंख्यकों एवं प्रवासी मजदूरों पर हमले को रोकने के लिए कानून बनाने की मांग की गयी है. विदेश नीति के मामले में पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि पडोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किया जाये. साथ ही भारतीय विदेश नीति को अमेरिकी हितों और प्राथमिकताओं से मुक्त किया जाये.

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